लखनऊ, । राज्य कर्मियों का मुख्यमंत्री के रूप में पहले कार्यकाल में ध्यान रखने वाले योगी आदित्यनाथ अपने दूसरे कार्यकाल में भी तोहफा देने वाले हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार प्रदेश के करीब 16 लाख सरकारी कर्मियों को तीन प्रतिशत बढ़े दर से डीए देने की तैयारी में लगी है।
उत्तर प्रदेश के 16 लाख राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को जुलाई से तीन फीसद की बढ़ी हुई दर से महंगाई भत्ते (डीए) का नगद भुगतान होने की उम्मीद है। 11.52 लाख पेंशनर भी बढ़ी दर से महंगाई राहत (डीआर) की बाट जोह रहे हैं। कर्मचारी संगठनों व उनके पदाधिकारियों ने भी राज्य सरकार की मौजूदा वित्तीय स्थिति को ठीक बताते हुए बढ़ी दर से डीए व डीआर के भुगतान की मांग की है।
सरकारी कर्मचारियों के डीए और पेंशनरों के डीआर में वृद्धि जनवरी और जुलाई महीनों से प्रभावी होती है। केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को पहली जनवरी 2022 से तीन प्रतिशत की बढ़ी दर से डीए व डीआर देने का फैसला मार्च में किया था। इस फैसले के फलस्वरूप केंद्र सरकार के कर्मचारियों व पेंशनरों का डीए व डीआर 31 से बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया है।
वहीं, राज्य कर्मचारियों व पेंशनरों को अभी 31 प्रतिशत की दर से डीए व डीआर मिल रहा है। डीए व डीआर के मामले में राज्य की केंद्र से समकक्षता है। हालांकि राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों व पेंशनरों का डीए-डीआर अब तक नहीं बढ़ाया है। डीए-डीआर में जुलाई में फिर वृद्धि होनी है।
एक-दो साल को अपवाद मान लें तो पूर्व के वर्षों में कर्मचारियों को जनवरी से देय अतिरिकत डीए का नकद भुगतान जुलाई के महीने से होने लगता था। इसी आधार पर कर्मचारी व पेंशनर डीए-डीआर बढ़ने की उम्मीद लगाए हैं। कर्मचारियों और पेंशनरों को तीन प्रतिशत की बढ़ी दर से डीए व डीआर का भुगतान करने पर सरकार पर प्रतिमाह 220 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्ययभार आएगा।
उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेन्द्र मिश्र ने राज्य कर्मचारियों को तीन प्रतिशत की बढ़ी दर से डीए का नकद भुगतान तत्काल सुनिश्चित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह सरकार का वचनबद्ध व्यय है। केंद्र सरकार जहां जुलाई में फिर से बढऩे वाले डीए का भुगतान करने की तैयारी कर रही है, वहीं राज्य सरकार अभी पिछला भुगतान ही नहीं कर पाई है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा का भी कहना है कि लाखों कर्मचारी बढ़ी दर से डीए के नकद भुगतान की आस लगाए हैं।