प्रयागराज, डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) के प्रति विद्यार्थियों का रुझान लगातार कम हो रहा है। बीते चार वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि डायट की सीटें तो भर जा रही हैं लेकिन, निजी कॉलेजों में बड़ी संख्या में सीटें खाली रह जा रही है। यहां दाखिले के लिए अभ्यर्थी दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहे हैं। अभ्यर्थियों की बेरुखी की वजह से निजी कॉलेजों के प्रबंध तंत्र भी सकते में हैं।
डीएलएड में दोषपूर्ण परीक्षा पद्धति प्रवेश परीक्षा में रुझान कम होने की प्रमुख वजह है। प्रत्येक सेमेस्टर में आठ विषय हैं लेकिन इनकी परीक्षा मात्र तीन दिनों में होती है। प्रवेश परीक्षा फल घोषित करने में अनावश्चक विलंब होता है। प्रवेश प्रक्रिया भी नियमित रूप से शुरू नहीं होती है। डीएलएड के लिए केवल प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बनने का अवसर है, जबकि बीएड डिग्री हासिल करने वालों के पास प्राथमिक से लेकर इंटर और अन्य नौकरियों के लिए आवेदन का अवसर होता है।
भान सिंह, निदेशक, नंद किशोर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस