इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी व कंप्यूटर सहायक भर्ती के विरुद्ध दाखिल याचिकाओं को पोषणीय न मानते हुए खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि चयन परीक्षा में शामिल होने के बाद असफल होने पर भर्ती को चुनौती देने का अधिकार नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी, एडवोकेट क्षितिज शैलेंद्र, विभु राय व आशीष मिश्र को सुनकर दिया है। खंडपीठ ने कहा कि चयन में असफल अभ्यर्थी को चयन प्रक्रिया को चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जा सकती। खंडपीठ ने इस मामले में महानिबंधक की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी व दर्जनों अन्य की अपीलें मंजूर कर ली हैं और एकल पीठ के गत छह अप्रैल के आदेश को रद्द कर दिया है। कहा कि एकल पीठ के आदेश के बाद याचिकाओं की बाढ़ सी आ गई है
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समीक्षा अधिकारी के 55, सहायक समीक्षा अधिकारी के 344 और कम्प्यूटर सहायक के 15 पदों की भर्ती विज्ञापित की। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए। क्षैतिज आरक्षण भी दिया गया। परीक्षा के मुख्य अंक के आधार पर मेरिट लिस्ट जारी की गई। दशमलव अंक नहीं लिए गए। 1.75 अंक पर एक अंक माना गया। दो अंक नहीं माना गया। टाइपिंग टेस्ट में न्यूनतम क्वालीफाई स्पीड से सूची तैयार की गई। इसे लेकर याचिकाएं की गईं। एकल पीठ ने चयन प्रक्रिया को सही माना लेकिन मेरिट लिस्ट बनाने को सही नहीं माना और नए सिरे से मेरिट लिस्ट जारी करने का निर्देश दिया। इस आदेश को अपीलों के माध्यम से चुनौती दी गई थी। खंडपीठ ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के विधि सिद्धांतों को अपनाते हुए याचिकाओं को पोषणीय नहीं माना।