कई सालों से अपना स्कूल छोड़कर बेसिक शिक्षा विभाग के ब्लॉक व जिला कार्यालयों में अंदरखाने योगदान देने वाले शिक्षकों को किसी भी दशा में अन्यत्र सम्बद्ध न किए जाने की कड़ी चेतावनी दी गई है। स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर यह प्रमाण पत्र देने के निर्देश दिए हैं कि जिले में कोई भी बेसिक शिक्षक अपने मूल विद्यालय के अतिरिक्त अन्य कहीं सम्बद्ध नहीं है।
सूत्र बताते हैं कि बीते कई सालों से लगभग प्रत्येक ब्लॉक में कुछ ऐसे शिक्षक हैं जो अपने मूल विद्यालय को छोड़कर बीआरसी में बाबूगिरी करते हैं। उनका काम सूचनाओं के आदान प्रदान से लेकर वेतन बिल बनाने तक हैं। स्कूल छोड़कर आने से शिक्षकों को स्कूल के मिनट टू मिनट शेड्यूल से राहत मिलती है तो वहीं वे अफसरों के चहेते बनकर दूसरे ‘काम’ भी कराते हैं। बीईओ बदलने के साथ कभी कभी शिक्षकों के चेहरे जरूर बदल जाते हैं लेकिन उनका काम वही रहता है। शासन व विभाग ने बीते सालों में भी किसी शिक्षक को अन्यत्र सम्बद्ध न करने की कड़ी हिदायत दी थी।
जब बाबू तो फिर शिक्षक क्यों बनाते बिल
बिडंबना यह है कि ब्लॉकों में बाबुओं की तैनाती होने के बावजूद शिक्षकों के वेतन बिल बनाने का काम शिक्षकों द्वारा किया जाता है। अफसरों की मूक सहमति से शिक्षक बाबूगिरी करते हैं और बाबू अपने मूल काम से दूर रहते हैं। वे बिल की जांचकर दस्तखत बनाते हैं। आने वाले दिनों में कार्य पोर्टल के जरिए ही किए जाएंगे।
लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक मूल विद्यालय से इतर स्कूल या कार्यालय से संबद्ध हैं, उनका संबद्धीकरण तत्काल खत्म करने का आदेश दिया गया है। सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों से इस आशय का प्रमाणपत्र एक सप्ताह में मांगा गया है कि उनके जिले में कोई शिक्षक संबद्ध नहीं है। इसमें लापरवाही किए जाने पर बीएसए के विरुद्ध कार्रवाई होना तय है।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने बेसिक शिक्षा -अधिकारियों को सख्त पत्र भेजा है। इसमें लिखा है कि शिक्षकों को मूल विद्यालय से इतर स्कूल या कार्यालय से संबद्ध करने से प्रशासनिक व्यवस्था व पठन-पाठन पर प्रभाव पड़ता है। समीक्षा में सामने आया है कि आदेशों के बाद भी कई जिलों में शिक्षक अब भी संबद्ध हैं। ये शासकीय आदेशों का उल्लंघन है। उन्होंने सभी बीएसए को आदेश दिया है कि तत्काल सभी शिक्षकों का संबद्धीकरण खत्म करें।