लखनऊ। प्रदेश के विभिन्न जिलों में सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों के जीपीएफ के करोड़ों रुपये खाते से गायब है। सेवानिवृत्ति के बाद इन शिक्षकों को अपनी कमाई के लाखों रुपये लेने के लिए भटकना पड़ रहा है। हालांकि उच्च शिक्षा निदेशालय से उनके जीपीएफ भुगतान की स्वीकृति का आदेश जारी हो रहा है पर क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी के यहां से भुगतान नहीं हो रहा है। कहीं तकनीकी समस्या तो कहीं खाते में धन न होने की बात कही जा रही है।
लखनऊ विवि सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष मनोज पांडेय का कहना है कि तकरीबन 19 जिलों में लगभग छह साल से लगभग पांच सौ शिक्षक इस समस्या से परेशान हैं। मामला शासन से लेकर राजभवन तक पहुंच चुका है लेकिन अब तक इसका समाधान नहीं हो पाया है गौरतलब है कि वर्ष 2011 से पहले एडेड कॉलेजों के शिक्षकों के वेतन का भुगतान व जीपीएफ की कटौती जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा की जाती थी। वर्ष 2011 के बाद वेतन का भुगतान व जीपीएफ कटौती क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय से होने लगी। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों का आरोप है कि जिला विद्यालय निरीक्षकों ने जीपीएफ का कोई हिसाब नहीं दिया। यह नहीं जीपीएफ खाते में जमा राशि पर शासन से ब्याज की मांग भी नहीं की गई। चूंकि वर्ष 2005 में नई पेंशन स्कीम लागू होने के बाद जीपीएफ की कटौती कम हो गई। ऐसे में वर्ष 2011 के बाद क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय से शुरुआत में पुराने शिक्षकों की जीपीएफ कटौती से जमा धन से शिक्षकों को भुगतान हो गया। बाद में फंड खत्म होते ही दिक्कतें शुरू हो गई गईं।