बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय स्कूलों के बच्चों का पंजीकरण, सत्यापन एवं धनराशि हस्तांतरण के लिए बीते साल डीबीटी ऐप लांच किया था। लांचिंग के बाद से ही यह ऐप सुर्खियों में हैं। इन दिनों डीबीटी ऐप पर शिक्षक काम कर रहे हैं लेकिन लगातार नए वर्जन आने से शिक्षक परेशान हैं। तकनीकी समस्याओं का त्वरित समाधान नहीं है।
डीबीटी ऐप के जरिए न केवल बच्चों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है बल्कि छात्र व अभिभावकों के आधार सत्यापन भी किए जा रहे हैं। विभाग लगातार शिक्षकों पर इस बात का दबाव डाल रहा है कि निर्धारित अवधि में डीबीटी एप पर काम कर लिया जाए। नाम न छापने की शर्त पर शिक्षक बताते हैं कि डीबीटी एप पर नित नए अपडेट आ रहे हैं, इससे काम में बाधा पहुंचती है। बात बात पर वेतन रोकने की धमकियां भी दी जा रही हैं। अब तक ऐप के 25 अपडेट आ चुके हैं।
मोबाइल बना विभाग की ‘प्रापर्टी’
सूत्र बताते हैं कि बीते दो सालों से विभाग शिक्षकों के फोन से लाखों बच्चों का डीबीटी एप पर न केवल फीडिंग, सत्यापन व पंजीकरण करा रहा है बल्कि गूगल मीट व आनलाइन ट्रेनिंग भी करा रहा है। तकनीकी रूप से अक्षम शिक्षकों को यह दौर भारी पड़ रहा है। उधर दूसरी ओर ग्रामीण शिकायत करते हैं कि शिक्षक हमेशा फोन पर लगे रहते हैं।
अब तक नहीं सुधार पाए एप
सूत्र बताते हैं कि विभाग का डीबीटी ऐप शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय है। इस एप में कभी लागिन तो कभी बच्चों की संख्या व अन्य सम्बन्धित बिन्दुओं पर कोई न कोई समस्या सामने आ रही है। शिक्षक इस एप से उकताने लगे हैं।