यूपी बोर्ड की 11वीं में चलने वाली हिन्दी की किताब में हिन्दी गद्य साहित्य के शलाका पुरुष आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का नाम ही गलत छपा है। एक निजी प्रकाशन ने उनकी जन्मतिथि 5 मई 1864 प्रकाशित की है जबकि आचार्य द्विवेदी ने स्वयं अपनी जन्मतिथि 9 मई स्वीकार की है।
हिन्दी नवजागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले और सत्रह वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती का सम्पादन करने वाले महान साहित्यकार के विषय में गलत तथ्य बच्चों को पढ़ाने से पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हुए हैं। एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज में हिन्दी के प्रवक्ता और सरस्वती पत्रिका के संपादक अनुपम परिहार कहते हैं कि इंटरनेट पर भी उनकी जन्मतिथि 15 मई दिखाई जा रही है जो कि गलत है।
उनकी वास्तविक जन्मतिथि नौ मई 1864 ही है जिसे उन्होंने स्वयं स्वीकार किया है। यही नहीं कई अन्य पुस्तकों में हिन्दी के महान साहित्यकारों के बारे में गलत तथ्य प्रदर्शित किए गए हैं।
ये अलग बात है कि यूपी बोर्ड की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। बोर्ड मुख्यालय में शोध विभाग होने के बावजूद न तो कोई इन त्रुटियों की ओर से देख रहा और न कानूनी कार्रवाई की जा रही