लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि सरकारी कर्मचारियों को डराने के लिए सरकार समय-समय पर कोई न कोई आदेश पारित करती रहती है। हड़ताल पर प्रतिबंध के लिए एस्मा पहले से प्रभावी है। धरना जुलूस
प्रदर्शन पर भी रोक लगी है। अब 50 वर्ष आयु तक सेवा कर चुके सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति का जिन्न बोतल से फिर बाहर लाए हैं ताकि सरकारी कर्मचारी डरे रहें। अपनी मांगों के लिए आवाज न उठा सकें।
तिवारी ने कहा कि वित्तीय हस्त पुस्तिका के मूल नियम 56 के अंतर्गत पहले से ही यह प्रावधान किया गया है कि नियुक्ति अधिकारी 3 महीने की नोटिस देकर किसी भी कर्मचारी को जो 50 वर्ष की सेवा पूरी कर चुका है सेवा से बाहर कर सकते हैं। जब इस मूल नियम का दुरुपयोग होने लगा तब कर्मचारियों की मांग पर 1985 में एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया गया। इसके मुताबिक इस प्रक्रिया पर 3 महीने की नोटिस का समय निर्धारित है। ऐसे में 5 जुलाई के आदेश पर 31 जुलाई तक अनुपालन कैसे संभव हो सकता है? इसमें विधिक समस्या होगी तथा कर्मचारी न्यायालय की शरण में भी जा सकते हैं। तिवारी ने कहा कि स्क्रीनिंग से संबंधित 1985 के आदेश का ही अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यदि इसी तरह कर्मचारियों का उत्पीड़न होता रहा तो लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में सरकार को भारी पड़ सकता है।