न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) क्या लागू हुई, पेंशनरों पर मानो आफत आ गई हो। यहां 12 शिक्षक रिटायर हुए पर इनमें से सिर्फ एक की ही पेंशन बन सकी और वो भी 935 रुपये प्रति महीने। बाकी सेवानिवृत्त शिक्षकों को न तो कोई भुगतान हुआ और न ही दिवंगत शिक्षकों के परिवार को कुछ लाभ मिल सका। वर्ष 2005 से 2016 तक के राज्यांश के लिए 50 करोड़ का प्रस्ताव तक भेजा नहीं गया। वर्ष 2016 के बाद से 2020 तक केवल 40 फीसदी शिक्षकों के खातों में धनराशि चढ़ी। 2020 से अब तक किसी भी शिक्षक के खाते में फीडिंग नहीं हुई।
कस्तूरबा विद्यालय के शिक्षक राम अवतार प्रजापति का रिटायरमेंट वर्ष 2020 में हुआ था। उनका खाता अपडेट हो गया तो 935 रुपये पेंशन मिलने लगी। बाकी विभाग की हीलाहवाली के शिकार हो गए और इन्हें एक भी पैसा न मिल सका। अहम बात है कि माध्यमिक शिक्षकों को हर माह करीब एक लाख रुपये वेतन मिलता है। रिटायरमेंट के बाद पेंशन के अतिरिक्त 5-15 लाख की धनराशि मिलनी चाहिए पर कुछ न हो सका।
पान मसाला बेचने को मजबूर
एनपीएस के एक शिक्षक को रिटायरमेंट के बाद एक भी पैसा नहीं मिल सका। उन्हें परिवार चलाने के लिए घर के बाहर पान मसाला बेचना पड़ रहा है। वेतन उन्हें हर महीने एक लाख से अधिक मिल रहा था।
क्या है नई पेंशन स्कीम
यूपी में एक अप्रैल 2005 से नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू हुई। इसमें शिक्षक और कर्मचारी के वेतन से 10 फीसदी कटौती होती है और 10 फीसदी ही राज्यांश होता है। वर्तमान में राज्यांश 10 से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया। जो धनराशि जमा होती है उसे पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के माध्यम से 33 फीसदी एलआईसी, 33 फीसदी एसबीआई और 33 फीसदी यूटीआई में लगाया जाता है। पेंशन के लिए खाता खोला जाता है जिसे परमानेंट अकाउंट नंबर (प्रान) कहते हैं।
मृतक आश्रितों को नौकरी मिली पर धनराशि नहीं
शिक्षक व कर्मचारियों की यदि सेवाकाल में मृत्यु हो जाती है, उनके मामलों में एनपीएस के नियम अलग हैं। पूर्व नियमों के तहत जो भी धनराशि एनपीएस में काटी गई है उसे परिवार को सरेंडर करना होता था। इसके बाद परिवार को पुरानी पेंशन के दायरे में लाया जाता है। वर्तमान में शिक्षक के अंश की धनराशि परिवार को लौटाई जाएगी और पुरानी पेंशन परिवार को दी जाएगी।
रिटायरमेंट पर धन वापसी और पेंशन
रिटायरमेंट के बाद यदि शिक्षक और कर्मचारी की कुल जमा धनराशि पांच लाख है तो वह पूरी धनराशि वापस ले सकता है और पेंशन बनवाने से इनकार कर सकता है। यदि यह धनराशि अधिक है तो कुल जमा का 60 फीसदी वापस मिल जाता है और 40 फीसदी के बांड शिक्षक को खरीदने होते हैं। शिक्षक को यह भी बताना होता है कि उसे कितने समय तक पेंशन चाहिए। इस आधार पर धनराशि तय हो जाती है।
विभाग के स्तर से कोई कमी नहीं है। राज्यांश का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। खातों में धनराशि तब ही दिखेगी जब राज्यांश मिल जाएगा। राज्यांश की पूरी डिमांड की जा चुकी है। – सतीश तिवारी, डीआईओएस
रेग्युलर खातों में धनराशि न फीड होने से रिटायरमेंट के बाद के प्रकरण लंबित हैं। फीडिंग न होने से संकट है। इस कारण किसी का भुगतान नहीं हो पा रहा है। विभाग के पास बजट ही नहीं है। -अखिलेश यादव, अध्यक्ष अटेवा