यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 80 हजार वेतन पाने वाले शिक्षकमात्र तीन से चार हजार रुपये पेंशन पाएंगे। इससे परिवार कैसे चल पाएगा। पुरानी पेंशन योजना ही बुढ़ापे की लाठी है।
-सुरेश कुमार त्रिपाठी, एमएलसी और विधान परिषद में नेता शिक्षक दल
सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी से अप्रैल से जून 2019 तक का अंशदान जमा नहीं हो पाया था। समस्या हल कर ली गई है। जल्द 60 प्रतिशत राशि का भुगतान और पेंशन का निर्धारण हो जाएगा।
-आरएन विश्वकर्मा, मंडलीय उप शिक्षा निदेशक
प्रयागराज। केस वन: गोपाल इंटर कॉलेज कोरांव के सहायक अध्यापक पीर अली और नंद किशोर इंटर कॉलेज सोहगौरा के प्रधानाचार्य डॉ. आत्मदेव मिश्र 31 मार्च 2020 को सेवानिवृत हुए। दोनों को सेवानिवृत्त हुए सवा दो साल से अधिक बीत चुका है लेकिन न तो एनपीएस खाते में जमा राशि का 60 प्रतिशत भुगतान हुआ और न पेंशन बन सकी।
केस टू: नेशनल इंटर कॉलेज हंडिया के प्रवक्ता तेज बहादुर पटेल, कर्नलगंज इंटर कॉलेज के सहायक अध्यापक विक्रमाजीत सिंह और ईश्वरदीन छेदीलाल इंटर कॉलेज जसरा के परिचारक भोलानाथ 31 मार्च 2021 को सेवानिवृत्त हुए। सवा साल बाद भी इन्हें पेंशन और जमा राशि के 60 फीसदी भुगतान का इंतजार है।
राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) से आच्छादित सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक-कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद भी पेंशन नहीं पा सके हैं। अफसरों की लापरवाही से एक अप्रैल 2005 को एनपीएस लागू होने के 11 साल बाद मई 2016 या इसके बाद कटौती शुरू हो सकी। इनके परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (प्रान) में रुपये तो जमा हुए लेकिन भुगतान नहीं हो पा रहा।
शासन ने अप्रैल 2019 से नियोक्ता अंशदान की दर बढ़ाकर 14 प्रतिशत की थी। जबकि सॉफ्टवेयर में जुलाई 2019 से नियोक्ता अंशदान 14 प्रतिशत अपडेट किया गया। इस कारण अप्रैल से जून 2019 तक का बकाया चार प्रतिशत अंशदान संस्थाओं ने जमा नहीं कराया। इससे पेंशन निर्धारण से लेकर प्रान में जमा राशि के 60 प्रतिशत भुगतान तक की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी।
40 प्रतिशत जमा राशि पर बनती है पेंशन: एनपीएस के तहत शिक्षकों व कर्मचारियों की पेंशन का निर्धारण खाते में जमा 40 प्रतिशत राशि पर ही होता है। 60 प्रतिशत का भुगतान सेवानिवृत्ति के समय हो जाता है।