लखनऊ, उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) माध्यमिक कालेजों में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों को बड़ी राहत देने की तैयारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्चस्तरीय बैठक में शिक्षकों के लिए रास्ता खोजने का निर्देश अफसरों को दिया है। दिसंबर 2021 में आए शीर्ष कोर्ट के आदेश पर विधि विभाग की भी राय ली जा रही है।
उत्तर प्रदेश में साढ़े चार हजार से अधिक अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक कालेजों में करीब दो हजार तदर्थ शिक्षक तैनात हैं। सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह प्रकरण में तदर्थवाद खत्म करने का आदेश दिया। कोर्ट के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उत्तर प्रदेश ने टीजीटी-पीजीटी भर्ती के साथ तदर्थ शिक्षकों को भी लिखित परीक्षा में शामिल कराया।
शिक्षकों का भारांक भी तय किया गया, भर्ती में कुल 1446 तदर्थ शिक्षकों ने आवेदन किया, उनमें से सिर्फ 126 को ही भारांक दिया गया। 1300 से अधिक शिक्षकों को जिला विद्यालय निरीक्षकों ने सही नहीं माना। दिसंबर 2021 में कोर्ट के निर्देश पर टीजीटी के 15 और पीजीटी के तीन तदर्थ शिक्षकों को चयनित किया गया।
बड़ी संख्या में तदर्थ शिक्षकों के सामने जीविका का संकट खड़ा हुआ तो शिक्षकों व जनप्रतिनिधियों ने उन्हें नियमित करने की मांग की। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों से कहा कि शिक्षकों को सेवा में रखने के लिए हर विकल्प खोजा जाए। उसके बाद से बैठकों का दौर जारी है। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक महेंद्र देव ने सभी जिलों के डीआइओएस से रिपोर्ट मांगी गई है, जल्द ही फिर समीक्षा बैठक होगी। उम्मीद है कि रास्ता निकाला जाएगा।
भारांक न मिलने से तदर्थ शिक्षक अधर में : नगराम स्थित राजनारायण जायसवाल इंटर कालेज के तदर्थ शिक्षक हरे कृष्ण पांडेय को लिखित परीक्षा में 328 अंक मिले हैं। उन्हें कोर्ट के आदेश पर 16 वर्ष 10 माह की सेवा का भारांक नहीं मिला है। इससे वे नियमित नहीं हो पा रहे हैं।
तदर्थ शिक्षकों के साथ न्याय करेगी सरकार : शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद तदर्थ शिक्षकों को सेवा में बनाए रखने का हर जतन किया जाएगा, उन्हें इस उम्र में बीच रास्ते में नहीं छोड़ सकते। कोर्ट की मंशा पूरी हो और उनका रोजगार भी न जाए इस पर कार्य हो रहा है।