अंबेडकरनगर। जिले के 1582 परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे करीब ढाई लाख विद्यार्थियों को अब साल में दो नहीं बल्कि चार बार परीक्षा देना होगी। प्रत्येक तिमाही में होने वाली परीक्षा का परीक्षाफल भी परीक्षा खत्म होने के एक सप्ताह बाद घोषित किया जाएगा। परिषदीय विद्यालयों में लागू हो शिक्षण कार्य की नयी व्यवस्था के तहत जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में पहली तिमाही परीक्षा होगी। इसकी तैयारियां भी बीएसए कार्यालय ने शुरू कर दी है।
परिषदीय विद्यालयों की दशा में सुधार को लेकर शासन स्तर पर लगातार नए नए कदम उठाए जा रहे हैं। बीते दिनों ही विद्यालयों में शिक्षण व परीक्षा के नए पैटर्न को लागू करने का फरमान जारी हुआ था। इसके क्रियान्वयन के लिए जिले में एक कैलेंडर तैयार किया गया है।
इसके तहत परिषदीय विद्यालयों में प्रत्येक तिमाही पर परीक्षा का आयोजन होगा। अभी तक बच्चों को वर्ष में सिर्फ दो बार ही अर्ध वार्षिक व वार्षिक परीक्षा देना पड़ती थी। बदलाव के बाद अब बच्चों को साल में चार बार परीक्षा देना होगी। जिले में कुल संचालित 1582 परिषदीय विद्यालयों में से 1062 प्राथमिक, 283 कम्पोजिट व 237 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं।
इन विद्यालयों में करीब ढाई लाख विद्यार्थी पंजीकृत है। इन विद्यालयों में परीक्षा आयोजित किए जाने के बदलाव को अमल में लाने की तैयारी में बीएसए कार्यालय जरूर जुटा है लेकिन बच्चों को पढ़ाई के लिए जरूरी पुस्तकें तक अभी उपलब्ध नहीं करा पाया है। इससे परीक्षा सिर पर होने के बावजूद ज्यादातर विद्यालयों में पठन पाठन का कार्य नहीं हो पा रहा है।
बिना पुस्तक कैसे देंगे परीक्षा
अकबरपुर के अभिभावक रामअजोर व राधेश्याम ने कहा कि नया शिक्षा सत्र शुरू हुए तीन माह का समय बीत जाने के बावजूद अभी तक बच्चों को पढ़ने के लिए नई पुस्तकें तक उपलब्ध नहीं हो पायी हैं। ऐसे में बगैर पुस्तक के बच्चे कैसे परीक्षा की तैयारी करेंगे। भीटी शिक्षा क्षेत्र के जगदीश व शफीक ने कहा कि परीक्षा को लेकर बाकायदा अध्यायवार कैलेंडर तैयार किया गया है लेकिन पढ़ाई के लिए नई पुस्तकें गायब हैं। ऐसे में बच्चों के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम की पढ़ाई ही शुरू नहीं हो पा रही। हालांकि बीएसए भोलेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि परिषदीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य पूरी गुणवत्ता के साथ हो रहा है। किताबों की सप्लाई का कार्य जल्द ही पूरा होगा। परीक्षा से पहले बच्चों को पढ़ाई के लिए किताबें मुहैया होगी ताकि बच्चों को पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय मिल सके।