पुनीत द्विवेदी,कानपुर:पॉलीटेक्निक डिप्लोमा से युवाओं का मोहभंग होता दिख रहा है। इसलिए इस बार पॉलीटेक्निक संस्थानों में करीब 94 हजार सीटें खाली रहना तय है। दरअसल, पॉलीटेक्निक में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा हो चुकी है। इस बार 2,18,286 आवेदन हुए पर 70,613 आवेदकों ने परीक्षा ही छोड़ दी। कुल 2,41,810 सीटों के लिए 1,47,673 अभ्यर्थी ही परीक्षा देने पहुंचे। ऐसे में सभी परीक्षार्थियों को पास मान लिया जाए तो भी 94 हजार सीटें खाली रहेंगी। परीक्षा परिणाम गड़बड़ाया तो खाली सीटों का आंकड़ा बढ़कर एक लाख या उससे अधिक भी पहुंच सकता है।
छात्रों को नहीं रास आई पढ़ाई
राजकीय पॉलीटेक्निक गाजियाबाद और राजकीय महिला पॉलीटेक्निक लखनऊ में पीजी डिप्लोमा इन वेब डिजाइनिंग, मार्केटिंग एंड सेल्स मैनेजमेंट जैसे ट्रेडों में पिछले पांच सालों में एक तिहाई सीटें खाली रहीं। कानपुर में पीजी डिप्लोमा इन मार्केटिंग सेल्स में 66,वेब डिजाइनिंग में 58 और अकाउंटेंसी की 37 सीटें खाली रहीं।
ग्रुप-ए की ट्रेडों में भी नहीं दिखा रुझान
सावित्रीबाई फुले राजकीय महिला पॉलीटेक्निक कुमारहेरा, सहारनपुर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और चौधरी मुख्तार सिंह राजकीय महिला पॉलीटेक्निक धौराला मेरठ की आईटी ट्रेड की सीटें तक नहीं भरती हैं। महिला पॉलीटेक्निक बलिया और वीरांगना झलकारी बाई राजकीय महिला पॉलीटेक्निक झांसी में कंप्यूटर एप्लीकेशन ट्रेड में पिछले 5 सालों में 75 में से कभी भी 6 सीटें नहीं भरीं। पीजी डिप्लोमा इन अकाउंटेंसी में राजकीय पॉलीटेक्निक ललितपुर में पिछले 5 सालों में सबसे ज्यादा 9 दाखिले हुए हैं। 2019 और 20 में वहां एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया।
जिन कोर्स से नौकरी नहीं उसे भी पढ़ा रहे
पॉलीटेक्निक संस्थानों के मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, सिविल और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसी ट्रेडों के हुनरमंद भी बेरोजगार घूम रहे हैं। इसके बावजूद कई ऐसे कोर्स चल रहे हैं, जिनकी मांग ही नहीं है। यही कारण है कि रिटेल मैनेजमेंट, मार्केटिंग सेल्स, हार्डवेयर नेटवर्किंग, टिशू कल्चर, डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट, फैशन डिजाइन और प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी जैसे ट्रेड की सीटें हर बार खाली रहती हैं।
15-20 हजार में मिल रहे बीटेक पास
पॉलीटेक्नक युवाओं को आसानी से रोजगार न मिलने का कारण बीटेक पास बेरोजगारों की बढ़ती संख्या भी है। बीटेक पास भी 15 से 20 हजार के वेतन में नौकरी करने को तैयार हो जाते हैं और कंपनियां उनको प्राथमिकता भी देती हैं।
ड्रोन, डाटा लर्निंग, डिजिटल मार्केटिंग, एंड्रॉयड टेक्नोलॉजी जैसे नए कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाना है। इनसे युवाओं को आसानी से रोजगार के मौके मिलेंगे। पॉलीटेक्निक चलो अभियान चलाकर छात्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी। – मनोज कुमार, निदेशक प्राविधिक शिक्षा
आवेदक भी घटते गए
वर्ष——- आवेदन
2016——- 5,31,132
2017 ——-4,52,334
2018 ——-4,50,021
2019 ——-4,36,715
2020 ——-3,90,894
2021 ——-3,02,066
2022 ——-2,67,139