प्रयागराज। प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) और पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) के विज्ञापन में तदर्थ शिक्षकों के पद शामिल किए जाने की मांग को लेकर प्रतियोगी छात्रों ने ट्विटर पर अभियान शुरू कर दिया है। प्रतियोगियों का दावा है कि प्रदेश में तदर्थ शिक्षकों के 22 हजार पद हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में तदर्थ शिक्षकों के पदों पर नियमित नियुक्ति के लिए इन पदों को टीजीटी-पीजीटी के विज्ञापन में जारी किया जाए।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने टीजीटी-पीजीटी 2021 की भर्ती में तदर्थ शिक्षकों से भी आवेदन मांगे थे। तदर्थ शिक्षकों को प्रति वर्ष 1.50 अंकों और 30 वर्ष की सेवा पर अधिकतम 30 का अंकों भारांक दिए जाने का प्रावधान भी किया गया, लेकिन नियमों में विसंगति के कारण केवल 12 तदर्थ शिक्षक ही चयनित हो सके थे। प्रतियोगी छात्र अब मांग कर रहे हैं कि प्रदेश भर में तदर्थ शिक्षकों के 22 हजार पदों को टीजीटी-पीजीटी 2022 के विज्ञापन में शामिल किया जाए। इस मांग को लेकर रविवार को सुबह 11 से शाम पांच बजे तक बड़ी संख्या में प्रतियोगियों ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को ट्वीट किया।
अभियान का नेतृत्व कर रहे युवा मंच के अध्यक्ष अनिल सिंह का आरोप है कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रबंधकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों की मिलीभगत के कारण तदर्थ शिक्षकों के पदों पर नियमित भर्ती नहीं हो पा रही है। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ने माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के 27 हजार पदों पर भर्ती की बात कही थी, लेकिन टीजीटी-पीजीटी 2022 के तहत महज 4163 पदों का विज्ञापन ही जारी किया गया। मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि चयर बोर्ड टीजीटी-पीजीटी 2022 के विज्ञापन में तदर्थ शिक्षकों के पदों को भी शामिल करे, ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में शिक्षकों के नियमित पदों पर भर्ती हो सके।