लोहरौली, । बच्चों को ड्रेस खरीदने के लिए खाते में धन देने की शासन की योजना सेमरियावां ब्लाक में फेल साबित हो रही है। खाते में धन आने के बाद भी अभिभावक ड्रेस खरीदने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। आज भी 90 प्रतिशत बच्चे बिना ड्रेस के स्कूल आ रहे हैं। अब तक देखा जाए तो 12 हजार बच्चों को ड्रेस खरीदने के लिए 1 करोड़ 47 लाख 48 हजार रूपए भेज दिया गया है। इसकग बाद भी फटे ड्रेस व टूटे चप्पलों में बच्चे स्कूल पहुंच रहे हैं।
सेमरियावां ब्लॉक के 145 परिषदीय व सहायता प्राप्त मदरसों व एडेड इंटर कालेजों में कक्षा 1 से 8 तक 19 हजार 254 छात्र नामांकित हैं। बीआरसी से मिले आंकड़े के अनुसार नामांकन के सापेक्ष 15 हजार 720 बच्चों की ड्रेस के लिए शिक्षकों ने डीबीटी किया था। डीबीटी के सापेक्ष 12 हजार 290 बच्चों के अभिभावकों के खातों में 1200 रुपये के हिसाब से 1 करोड़ 47 लाख 48 हजार रुपया पहुंच गया है। धन पहुंचने के बाद भी अभिभावक बच्चों को ड्रेस खरीदने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। 12 सौ रुपये में दो जोड़ी ड्रेस, जूता-मोजा, बैग, कापी व पेन खरीदना था। धन मिलने के बाद भी बच्चे बिना ड्रेस के विद्यालय पहुंच रहे हैं। ड्रेस खरीदने में अभिभवक रुचि नहीं ले रहे हैं। खाते में धन न आने का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं। अभिभावक राम प्रसाद, रहमत हुसैन आदि ने बताया कि अभी हम लोग के खाते में धन आया ही नहीं है। जबकि अधिकांश अभिभावकों के खाते में धन भेज दिया गया है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि ड्रेस, जूता-मोजा खरीदने के लिए अभिभवकों के खाते में धन भेजने की योजना सफल होती नहीं दिख रही है।
पहले हर बच्चों को मिलता था ड्रेस परिषदीय विद्यालयों में पहले शिक्षकों के खाते में धन भेजा जाता था। शिक्षक को धन मिलने के बाद मार्केट से दो जोड़ी ड्रेस, जूता-मोजा व बैग बच्चों में वितरण करते थे। उस व्यवस्था से सभी नामांकित बच्चों को ड्रेस, जूता व मोजा मिल जाता था। बच्चे पूरे वर्ष ड्रेस में दिखाई पड़ते थे। पिछले दो वर्ष से 25 प्रतिशत बच्चों को ड्रेस नसीब नहीं हो रहा है।