मेडिकल बोर्ड से परीक्षण न करवाने वाले 220 दिव्यांग शिक्षकों पर बेसिक शिक्षा विभाग शिकंजा कसने जा रहा है। ये दिव्यांग शिक्षक सरकार द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड के सामने कभी उपस्थित नहीं हुए हैं। ऐसे शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगते हुए पूरी रिपोर्ट अब शासन को सौंपी जाएगी जिस पर निर्णय लिया जाएगा।
अब इन शिक्षकों को मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होने का मौका नहीं दिया जाएगा। इन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए 20 दिन का समय दिया जाएगा, इसके बाद रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी। इन विकलांग शिक्षकों को 2016 से 2021 के बीच कई बार कैम्प का आयोजन कर मौका दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुपालन में 2016 में सरकार ने सूची जारी कर 1005 विकलांग अध्यापकों को मेडिकल बोर्ड के सामने जांच कराकर अपने प्रमाणपत्रों के सत्यापन के निर्देश दिए थे। 2010 और 2016 से 2021 के बीच कई मेडिकल कैम्प का आयेाजन कर सभी जिलों में प्रचार-प्रसार भी किया गया लेकिन सीएमओ कार्यालय की रिपेार्ट के मुताबिक 232 अभ्यर्थी आज तक बोर्ड के सामने पेश नहीं हुए लेकिन गोरखपुर मंडलीय कार्यालय ने रिपोर्ट सौंपी है कि 12 शिक्षकों ने अपना मेडिकल करा लिया है। सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दायर कर याचिककर्ता ने आरोप लगाया था कि विकलांगता के फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे कई शिक्षक स्कूलों में नौकरी कर रहे हैं और इनकी बीएसए कार्यालयों से सांठगांठ के चलते इनका सत्यापन नहीं किया जाता।