अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज यूपी बोर्ड की मान्यता लेने के लिए स्कूल कॉलेजों को अब छात्राओं के लिए सेनेटरी पैड की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करनी होगी। वहीं दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए भूतल पर पृथक शौचालय, हैंड रेल, रैंप रेलिंग सहित साइनेज की सुविधा होने पर ही विद्यालयों को मान्यता मिलेगी। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने वित्त विहीन स्कूलों की मान्यता की शर्तों में बदलाव किया है। इसके तहत विद्यालयों में किन-किन व्यवस्थाओं का होना जरूरी है, इसका निर्धारण किया गया है। पेयजल व्यवस्था के तहत दिव्यांगों की सहूलियत के लिए अलग-अलग ऊंचाई की प्लेटफार्म की व्यवस्था होनी चाहिए। शिक्षक और विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग शौचालय होना अनिवार्य है। इसमें वाटर टैंक, एक्जास्ट फैन, वॉश बेसिन की सुविधा होनी चाहिए। साथ ही छात्राओं के लिए सेनेटरी पैड एवं इंसीनिरेटर की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होगी। विद्यालयों को शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का भुगतान भी बैंक के माध्यम से सीधे खाते में करना होगा। साथ ही विद्यालय की ओर से शिक्षण शुल्क का स्पष्ट लेखा-जोखा रखा जाएगा। शिक्षण शुल्क का कम से कम 70 प्रतिशत शैक्षिक एवं अन्य कर्मियों के परिलब्धियों पर व्यय किया जाएगा।
*व्यावसायिक शिक्षा पर जोर*
नई मान्यता प्राप्त करने वाले विद्यालयों को दो ट्रेड विषयों को पढ़ाना अनिवार्य होगा। वोकेशनल ट्रेड का चयन इलाके की आवश्यकता और रोजगार की संभावना पर निर्भर रहेगा। विद्यालय की ओर से संचालित ट्रेड के व्यावहारिक ज्ञान के लिए नजदीक के वर्कशाप, उद्योग, कंपनी आदि से संपर्क स्थापित करना अनिवार्य होगा। यह बदलाव नई शिक्षा नीति के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के संकल्प के अनुसार है ताकि विद्यार्थियों के व्यवसाय के कौशल विकास का समुचित वातावरण सृजित हो सके। साथ ही प्रतिदिन छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति का विवरण पोर्टल और वेबसाइट पर देना होगा
*पुस्तकालय में समाचार पत्र रखना होगा अनिवार्य*
नई मान्यता लेने वाले स्कूलों में पुस्तकालय अनिवार्य रूप से होगा। इसमें पाठ्यपुस्तकें, महापुरुषों की जीवनी, विश्व ज्ञानकोष, शब्दकोष, कथा साहित्य, ई जनरल, शोध पत्र, ई मैग्जीन के साथ समाचार पत्र, पत्रिका आदि जरूर रखनी होगी।