अजब-गजब: ड्रेस के मिले पैसों से पापा ने पी ली शराब
पीलीभीत। सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थी स्मार्ट और अनुशासित दिखें, इसलिए सरकार ने उनकी ड्रेस के लिए रुपये अभिभावकों के खाते में भेजने शुरू किए। मगर अफसोस, यह सरकारी कवायद दम तोड़ रही है। कई गैरजिम्मेदार अभिभावक बच्चों को ड्रेस के लिए मिली धनराशि को अपनी जरूरतों पर खर्च कर रहे हैं। अमर उजाला टीम ने शुक्रवार को स्कूलों में जाकर हालात देखे और बच्चों से बातचीत की एक बच्ची ने तो यह तक बताया कि ड्रेस के पैसों को पापा ने शराब पी ली।
सरकार की ओर से प्राथमिक विद्यालयों के प्रत्येक बच्चे की ड्रेस, जूते मौजे और बैग आदि के लिए 12 सौ रुपये दिए जाते हैं। यह रकम सीधे अभिभावकों के खाते में डाली जाती है। बावजूद इसके जिले में तमाम बच्चे ऐसे हैं, जिनकी ड्रेस नहीं बनी है। अध्यापक टोकते हैं तो बच्चे माता- पिता द्वारा बताया गया कोई न कोई बहाना बता देते हैं। आंकड़ों के मुताबिक जनपद में संचालित हो रहे 1499 बेसिक स्कूलों में पढ़ने वाले 30 फीसदी बच्चे बिना ड्रेस के ही विद्यालय आ रहे हैं। पिछले सत्र में 2,27,000 बच्चे पंजीकृत हुए थे। इनमें करीब 25 से 30 फीसदी बच्चों को ड्रेस नहीं बन सकी।