इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अनुदानित मदरसे के आठ वेतनभोगियों के वित्तीय अनुमोदन का निरस्तीकरण आदेश स्थगित कर दिया है। साथ ही राज्य सरकार से इस मामले में दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक वर्मा ने नजमा बानो समेत आठ लोगों की याचिका पर दिया है। नजमा बानो एवं अन्य सात याची हमीरपुर जिले में वित्तपोषित संस्था मदरसा रहमानिया अनवारुल उलूम मौदहा में सहायक अध्यापक एवं कर्मचारी के रूप में लंबे समय से सेवारत थे। इस वर्ष एक शिकायत के क्रम में विभाग ने याचियों के वित्तीय अनुमोदन को निरस्त कर वेतन रोक दिया। इस आदेश को याचिका में चुनौती दी गई थी। याची की ओर से कोर्ट को बताया गया कि नियुक्ति करने वाले तत्कालीन प्रबंधक का चुनाव अवैध पाए जाने के कारण कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है। कहा गया कि प्रबंधक का चुनाव अवैध होने से याचियों की नियुक्ति अवैध नहीं ठहराई जा सकती। कर्मचारियों का चयन एवं नियुक्ति प्रक्रिया डी-फैक्टो विधिक सिद्धांत के अंतर्गत सुरक्षित है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे के तर्कों पर सहमति जताते हुए याचियों के वित्तीय अनुमोदन निरस्त करने के आदेश को अगली सुनवाई तक स्थगित कर दिया। साथ ही विभाग को नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है।