वाराणसी, शिक्षा का अधिकार अधिनियम को शासन भले ही गंभीरता से लेता हो मगर निजी स्कूल इसका माखौल उड़ा रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग भी नोटिस और चेतावनी से ज्यादा कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा। नतीजतन आधा अगस्त बीतने के बाद भी सैकड़ों अभिभावक विभाग से स्कूल तक दौड़ लगा रहे हैं।
अप्रैल से जुलाई तक तीन चरण की लॉटरी में वंचित वर्ग के 9 हजार से ज्यादा बच्चों को आरटीई (राइट टु एजुकेशन) के तहत स्कूलों का आवंटन किया गया। हजारों बच्चों के एडमिशन नियमानुसार हो गए मगर कई स्कूल बच्चों का प्रवेश लेने में आनाकानी कर रहे हैं। कहीं सीट भर जाने का हवाला दिया जा रहा है तो कहीं शासन से बकाया राशि न मिलने की बात कही जा रही है। कोरोना काल में स्कूल बंद होने से भी आरटीई के अंतर्गत पिछले वर्षों में एडमिशन लेने वाले बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है क्योंकि उन्हें नए स्कूल में एडमिशन नहीं दिया जा रहा।
बेसिक शिक्षा विभाग हर दिन आने वाली ऐसी शिकायतों पर बेबस है। हालांकि ऐसे मामलों में एडमिशन कराने का दावा किया जा रहा है। आरटीई के जिला समन्वयक विमल केशरी का कहना है कि स्कूलों को नोटिस देकर बच्चों के एडमिशन कराए जा रहे हैं। कई स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति भी की गई है।
कैसे-कैसे बहाने
पियरी निवासी संतोष गुप्ता ने बताया कि क्षेत्र के ही एक स्कूल में उनके बच्चे के लिए सीट आवंटित की गई थी मगर स्कूल ने वार्ड संख्या अलग होने का हवाला देते हुए एडमिशन से इनकार कर दिया। सारनाथ निवासी सतीश कुमार की परेशानी भी कुछ ऐसी ही है। इसके अलावा नाम की स्पेलिंग गलत होने, कोरोना काल में स्कूल बंद हो जाने या सीटें भर जाने का हवाला देकर भी स्कूल आवंटित सीटों वाले बच्चों को लौटा रहे हैं।