लखनऊ : प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नई रणनीति अपनाई गई है। इसके तहत उत्तर प्रदेश मेडिकल फैकल्टी के जरिये होने वाली प्रवेश परीक्षा के आवेदन पत्रों में संलग्न मार्क्सशीट और डिग्री को संबंधित परीक्षा बोर्ड व विश्वविद्यालय से ऑनलाइन सत्यापित कराया जाएगा। बोर्ड व विवि की मुहर लगने के बाद ही अभ्यर्थी को प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी। वहीं जिस अभ्यर्थी की डिग्री या मार्क्सशीट फर्जी होगी, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। प्रदेश में इस तरह की व्यवस्था पहली बार लागू की जा रही है।
नर्सिंग व पैरामेडिकल के विभिन्न कोसों में दाखिले के लिए काउंसिलिंग के दौरान विद्यार्थियों की मार्क्सशीट में गड़बड़ी पाई जाती है। ऐसे में मेरिट सूची दोबारा तैयार करनी पड़ती है।
इस समस्या से निपटने के लिए आवेदन के बाद ही मार्क्सशीट की जांच कराने की तैयारी है। इसके लिए विभिन्न परीक्षा बोर्ड और विश्वविद्यालयों को एप के माध्यम से जोड़ा जाएगा। परीक्षा पूर्व डिग्री व मार्क्सशीट का सत्यापन किए जाने परीक्षा में फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी।
मेधावी विद्यार्थियों को मौका मिलेगा। वहीं मेरिट सूची बनने के बाद काउंसिलिंग के दौरान प्रमाण पत्रों की जांच की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी। परीक्षा व्यवस्था के नोडल प्रभारी उमेश चंद्र पांडेय ने बताया कि नई व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जी मार्क्सशीट का चलन खत्म होगा।
शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के लिए हो रहा प्रयास
प्रदेश में नर्सिंग व पैरामेडिकल की चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। पैरामेडिकल कोर्स की प्रदेश स्तरीय मेरिट सूची तैयार करने और एकीकृत काउंसिलिंग की व्यवस्था की जा रही है। जिससे कॉलेज मनमानी तरीके से चहेतों को उनकी पसंद के कोर्स में प्रवेश न देने पाए। इसी दिशा में प्रमाण पत्रों की जांच कराने का भी फैसला लिया गया है।
नर्सिंग और पैरामेडिकल प्रवेश परीक्षा और प्रवेश के बाद होने वाली मूल परीक्षा को पारदर्शी बनाया जा रहा है। जिससे प्रतिभावान विद्यार्थी आगे रहें। चिकित्सा शिक्षा से जुड़े कोर्स में फर्जी मार्क्सशीट वालों को पहले ही कदम पर रोका जाएगा। इसके लिए नई व्यवस्था बनाई जा रही है। आलोक कुमार, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा