वाराणसी, सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा के दावों में किताबों की कमी पलीता लगा रही है। बेसिक शिक्षा विभाग में अगस्त के अंतिम सप्ताह तक बच्चों के मुकाबले सिर्फ आधी किताबें आ सकी हैं तो माध्यमिक स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों का टोटा है। किताबों की कमी से सारा दारोमदार शिक्षकों पर आ पड़ा है। अगले महीने अर्धवार्षिक परीक्षाएं प्रस्तावित हैं।
बनारस में बेसिक शिक्षा विभाग के कुल 1144 स्कूल हैं। इनमें 220 कंपोजिट और 133 उच्च प्राथमिक विद्यालय भी शामिल हैं। इन स्कूलों में लगभग 2.80 लाख विद्यार्थी पंजीकृत हैं। छह विषयों की किताबों के हिसाब से जिले के सभी विद्यार्थियों के लिए लगभग 16.50 लाख किताबें चाहिए। जुलाई में किताबों की पहली खेप मिलने के बाद 24 अगस्त से दोबारा किताबें पहुंचने का क्रम शुरू हुआ है। जिला समन्वय त्रिलोकी शर्मा बताते हैं कि शुक्रवार तक लगभग 8 लाख किताबें मिल चुकी हैं। जिन्हें बीआरसी भेजा जा रहा है जहां से इन्हें स्कूलों में बांटा जाएगा।
सितंबर में सत्र की पहली परीक्षा भी प्रस्तावित है। किताबों की कमी बेसिक स्कूलों के शिक्षकों का तनाव बढ़ा रही है। निपुण भारत मिशन, मिशन प्रेरणा आदि के अनुसार बच्चों का शैक्षिक अधिगम उन्हें बरकरार रखना है और वह भी बिना किताबों के। प्रधानाचार्यों ने बताया कि स्कूल में एक ही किताब से पढ़ाया जा रहा है और बच्चे कॉपियों पर लिखकर काम चला रहे हैं।
प्रकाशकों की धीमी रफ्तार से कोर्स डीरेल
जिले के 402 माध्यमिक विद्यालयों में नए सत्र में एनसीईआरटी की किताबों की कमी है। कक्षा 9 से 12 तक लगभग 3.5 लाख बच्चे परेशान हैं। बुक सेंटरों पर सिर्फ तीन प्रकाशकों की किताबें ही रखने के आदेश हैं मगर किताबों की सप्लाई की रफ्तार धीमी है। पुस्तक विक्रेताओं का कहना है कि मांग के हिसाब से आपूर्ति कम है। शिक्षकों ने बताया कि ऐसी परिस्थिति में बच्चे पिछले वर्ष की किताबों से पढ़ाई कर रहे हैं। बाजार में दूसरे प्रकाशकों की ‘पाइरेटेड किताबें भी चल रही हैं। इसकी जांच के लिए डीआईओएस गिरीश कुमार सिंह ने पिछले दिनों किताब की दुकानों की जांच कर चेतावनी भी दी थी।