अगर आपके बच्चे को बुखार आ रहा है और उसके साथ-साथ शरीर पर चकत्ते दिखें तो तुरंत उसे चिकित्सक को दिखाएं। यह टोमैटो फ्लू हो सकता है। इसमें हाथ-पैर व मुंह में छाले पड़ जाते हैं। कई बार छाले टमाटर के आकार के होते हैं, इसीलिए इसे टोमैटो फ्लू कहते हैं।
केरल, तमिलनाडु, हरियाणा व अन्य राज्यों में टोमैटो फ्लू के पुष्ट रोगी सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। संचारी रोग विभाग की ओर से जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार ऐसे लक्षण दिखने पर बच्चे को पांच से सात दिनों तक आइसोलेट रखें। यानी उसे किसी अलग कमरे में सात दिन रखा जाए। ताकि दूसरे बच्चे उसके संपर्क में न आ सकें और यह संक्रमण न फैले।
साफ-सफाई के साथ-साथ सैनिटाइजेशन भी समय-समय पर किया जाए। बच्चों को यह समझाएं कि अगर उनके स्कूल में किसी बच्चे में ऐसे लक्षण दिख रहे हैं तो उसे न छुएं और न ही उससे कोई सामान लें। टोमैटो फ्लू आमतौर पर 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को होता है।
टोमैटो फ्लू से संक्रमित बच्चे को गर्म पानी से नहलाएं और त्वचा को ढंग से साफ करें। उसके कपड़े व अन्य सामान को अलग रखा जाए। यह एक वायरल संक्रमण है। ऐसे में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उसे पौष्टिक आहार दें और पानी, जूस व दूध पिलाएं।
अभी तक इसके लिए कोई दवा या टीका नहीं बना है। बुखार के लिए डाक्टर के परामर्श के अनुसार पैरासिटामोल खिलाई जा सकती है। आइसोलेशन में रहने के साथ-साथ आराम बहुत जरूरी है। बीमार होने के 48 घंटे के अंदर सैंपल जांच के लिए लिया जाना चाहिए।
टोमैटो फ्लू की जांच के लिए नाक व गले का स्वैब लेकर या फिर स्टूल की जांच की जा सकती है। टमाटर के आकार के छाले की बायोप्सी भी की जा सकती है। रियल टाइम पालीमरेज चेन रिएक्शन (आरटीपीसीआर) जांच व सीरोलाजी जांच की जा सकती है।
टोमैटो फ्लू की जांच के लिए सैंपल 24 घंटे के अंदर सैंपल भेजने होंगे। उसे फ्रिज में रखकर भेजा जा सकता है। अगर सैंपल प्रयोगशाला में भेजने में देरी हो रही है तो उसे माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर दो-तीन दिन रखा जा सकता है।