पहली से आठवीं तक ये किताबें ही मिलीं
हिंदी मीडियम में कक्षा एक से पांच तक के लिए पंखुड़ी, हमारा परिवेश, रेनबो, संस्कृत पीयूषम, फुलवारी, अंक जगत, पर्यावरण, वाटिका, गणित ज्ञान, पेटल्स और संस्कृत सुबोध ही प्राप्त हुई है। कक्षा छह से आठवीं तक के बच्चों के लिए कृषि विज्ञान, गृह कौशल, प्रज्ञा, ज्ञान भारती, संस्कृत भारती व इंग्लिश रीडर की किताबें ही आई हैं। शेष किताबों के लिए अभी इंतजार करना होगा।
वाराणसी 16 लाख 8.50 लाख
गौतमबुद्ध नगर 6.30 लाख 3 लाख
प्रयागराज 34.8 लाख 29 लाख
मेरठ 11.30 लाख 7.05 लाख
अलीगढ़ 17 लाख 8 लाख
लखनऊ 16 लाख 11.70 लाख
आगरा 17.48 लाख 11 लाख
कानपुर नगर 12.50 लाख 9 लाख
गोरखपुर 23 लाख 9 लाख
चित्रकूट 9 लाख 6 लाख
अलीगढ़ 17 लाख 8 लाख
संभल 12 लाख 8 लाख
बिजनौर 17 लाख 6.80 लाख
बरेली। प्रदेश सरकार के ‘खूब पढ़ो-खूब बढ़ो’ का नारा किताबों की कमी के कारण पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहा। स्थिति यह है कि इस सत्र को शुरू हुए पांच महीने बीतने वाले हैं लेकिन अभी तक स्कूली छात्रों को पूरी किताबें नहीं मिली हैं। प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के छात्रों के लिए करीब 11 करोड़ किताबों की जरूरत है लेकिन अब तक छह करोड़ ही स्कूल तक पहुंच पाई हैं। अंग्रेजी और उर्दू माध्यम की तो एक भी किताब छात्रों को नहीं मिली हैं।
दरअसल, सत्र शुरू होने से ठीक पहले बेसिक शिक्षा सचिव ने आदेश किया था कि अगली कक्षा में जाने वाले बच्चों की किताबें जमा करवा ली जाएं। ये पुरानी किताबें उस कक्षा में प्रवेश पाने वाले नये बच्चों को बांट दी जाएगी। इस आदेश पर पूरी तरह से अमल नहीं हो सका, जिससे अधिकांश बच्चों के पास पुरानी किताबें नहीं हैं। प्रदेश भर के स्कूलों में नई किताबों के लिए बच्चे लगभग पांच महीने से इंतजार कर रहे हैं। किताबें आनी तो शुरू हो गईं मगर इनकी संख्या काफी कम है। बरेली जिले की बात की जाए तो यहां 4.34 लाख छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। इनके लिए करीब 24 लाख किताबों की मांग की गई थी लेकिन आठ लाख ही आई हैं। इन आठ लाख में भी सिर्फ हिंदी मीडियम के बच्चों की किताबें हैं। अंग्रेजी और उर्दू मीडियम के एक भी छात्र की किताब नहीं आई। अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश भर में 13 प्रकाशकों को किताबों के वितरण की जिम्मेदारी मिली है।
इनमें से सिर्फ दो ने ही बरेली में अपनी सप्लाई दी है।
समय से पूरी हो जाएगी सप्लाई राज्य पाठ्य पुस्तक अधिकारी श्याम किशोर तिवारी ने बताया कि 11 करोड़ की मांग के सापेक्ष छह करोड़ किताबों की सप्लाई हो चुकी है। शेष पुस्तकों की भी तेजी से सप्लाई कराई जा रही है।