उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से संशोधित उत्तरकुंजी, कटऑफ एवं प्राप्तांक को लेकर स्थिति स्पष्ट न किए जाने से अभ्यर्थी परेशान हैं। वे चाहते हैं कि आयोग आवेदन प्रक्रिया के दौरान ही यह स्पष्ट कर दे कि संशोधित उत्तरकुंजी और कटऑफ अंक कब जारी किए जाएंगे।
आयोग पीसीएस-2018 से पहले तक अंतिम चयन परिणाम वाले दिन ही कटऑफ अंक जारी करता था। साथ ही संशोधित उत्तरकुंजी पहले जारी कर दी जाती थी, लेकिन अब अंतिम चयन परिणाम के बाद उत्तरकुंजी और कटऑफ अंक जारी किए जा रहे हैं। आयोग यह सूचना तो पहले से दे रहा है कि कि उत्तरकुंजी और कटऑफ अंक अंतिम चयन परिणाम के बाद जारी कर दिए जाएंगे, लेकिन इसके लिए कोई तिथि निर्धारित नहीं होती।
अभ्यर्थियों को अंतिम चयन परिणाम जारी होने के एक साल बाद तक उत्तरकुंजी और कटऑफ अंक के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। अभ्यर्थियों को इससे दो तरह से नुकसान हो रहे हैं। उत्तरकुंजी देर से जारी होने के कारण सवाल गलत होने की स्थिति में अभ्यर्थी मजबूती से अपना दावा पेश नहीं कर पा रहे और अगली परीक्षा के लिए बेहतर ढंग से तैयारी भी नहीं कर पा रहे।
अभ्यर्थी जानना चाहते हैं कि उन्होंने जिन सवालों के जवाब दिए थे, वे सही हैं या नहीं। अभ्यर्थी इस आधार पर अपनी तैयारी का मूल्यांकन करते हैं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का आरोप है कि आयोग जानबूझकर देर से उत्तरकुंजी और कटऑफ अंक जारी कर रहा है, ताकि कोई गड़बड़ी होने पर अभ्यर्थी उचित फोरम पर मजबूती से अपना दावा पेश न कर सकें।
समिति ने प्रतियोगी छात्रों की ओर से आयोग के अध्यक्ष से मांग की है कि भर्ती परीक्षाओं के कैलेंडर में कटऑफ अंक, प्राप्तांक और संशोधित उत्तरकुंजी जारी किए जाने की प्रस्तावित तिथि भी शामिल की जाए। आयोग ने बीते दिनों परीक्षाओं में पादर्शिता को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। ऐसे में आयोग को उत्तरकुंजी और कटऑफ को लेकर की जा रही मांग पर भी विचार करना चाहिए।