प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि प्रत्येक विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष अपने पाठ्यक्रमों को स्थानीय जरूरत के अनुसार निर्धारित करें। इसके लिए अभी से प्रयास शुरू कर दें। पाठ्यक्रमों में औद्योगिक प्रशिक्षण, अनुसंधान तथा उद्यमिता से जुड़े विषयों को अवश्य शामिल करें, ताकि अधिक से अधिक रोजगार का सृजन हो सके। यही नहीं जो अनुसंधान किए जाएं उन्हें धरातल पर अवश्य उतारा जाए। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों, ग्राम प्रधानों, आंगनबाड़ी केंद्रों से संपर्क कर उन्हें लागू कराने में अपना सक्रिय योगदान दें।
यही नहीं विवि द्वारा विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में ग्राम प्रधानों व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाए। उन्हें केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रहीं विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं व कार्यक्रमों की जानकारी दें, जिससे उनका लाभ जन सामान्य को मिल सके।
राज्यपाल शुक्रवार को राजभवन के गांधी सभागार में राज्य विश्वविद्यालयों के कार्य परिषद/बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्यों के सम्मेलन को संबोधित कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि सभी विवि अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करते हुए विद्यार्थियों को गुणवत्तापरक शिक्षा देने के सभी उपायों पर अमल करें। जरूरी हो तो उच्च गुणवत्ता प्राप्त विश्वविद्यालयों का दौरा कर वहां की कार्य प्रणाली को अपनाएं।
विवि अपने विद्यार्थियों से केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रहीं विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का सर्वेक्षण ग्रामीण क्षेत्रों से कराएं। साथ ही उसकी विस्तृत कार्ययोजना केंद्र व राज्य सरकार को सौंपें, ताकि उसके अनुसार सरकार भी अपनी योजना बनाए और उसका लाभ अधिक से अधिक ग्रामीण जनता को मिले।
उन्होंने कहा कि विवि की विभिन्न समितियों में विद्यार्थियों को अवश्य शामिल किया जाए। इससे उनकी विभिन्न गतिविधियों में सहभागिता होगी और वे रुचि लेकर अपनी जिम्मेदारियों के साथ विवि को अपना योगदान दे सकेंगे। उन्होंने सदस्यों विवि में चल रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण करने व समयबद्धता व गुणवत्ता का कड़ाई से अनुपालन कराने के लिए कहा। राज्यपाल ने कुलपतियों को निर्देश दिए कि कार्य परिषद की नियमित बैठकें की जाएं। साथ ही सदस्यों को एजेंडा व बैठक की सूचना समय से दी जाए।
अपर मुख्य सचिव राज्यपाल महेश कुमार गुप्ता ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 में सभी विद्यार्थियों के लिए रुचिपूर्ण शिक्षा की व्यवस्था है। इसलिए समय के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार करना होगा। केवल डिग्रीधारी युवा तैयार न करें। विद्यार्थियों में पनप रहे असंतोष को दूर करने के लिए उनसे संवाद स्थापित किया जाए।
बैठक में उद्यमिता विकास से जुड़े कार्यक्रमों, पारदर्शी नियुक्ति प्रक्रिया, महिला अध्ययन केंद्र व विद्यार्थियों के प्लेसमेंट, डिग्रियों के वितरण, आडिट आपत्तियों, सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषयों पर भी बात की गई। सदस्यों ने इन कार्यों में आने वाली समस्याओं के बारे में बताया।
इस दौरान विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ. पंकज जानी, छत्रपति शाहूजी महाराज विवि कानपुर के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, लविवि के कुलपति प्रो. आलोक राय, प्रो. रज्जू सिंह विवि प्रयागराज के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह, उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विवि प्रयागराज की कुलपति प्रो. सीमा सिंह, पूर्वांचल विवि जौनपुर की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्या, चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद व अन्य लोग मौजूद थे।