प्रयागराज, स्कूलों में वाटिका बनाकर बच्चों को आयुर्वेद और प्रकृति के करीब लाया जा सकता है। सीबीएसई से संचालित राजकीय अभिनव विद्यालय दांदूपुर चाका और राजकीय इंटर कॉलेज फुरसतगंज अमेठी में औषधीय वाटिका का प्रयोग एक नवाचार शिक्षण टूल के रूप में अपनाया गया। कोरोना काल में जब स्कूल बंद थे तो 2020 में दोनों स्कूलों में मीठी नीम, लेमन ग्रास, अश्वगंधा, पिपरमिंट, अजवाइन, गिलोय, गुड़मार, ग्वारपाथा, अर्जुन शतावर, तुलसी, शुगरलीफ, नीम, पथरचट्टा आदि लगभग 60 प्रकार के औषधीय पौधे रोपे गए।
अभिनव विद्यालय के प्रधानाचार्य और राज्य अध्यापक पुरस्कार विजेता डॉ. आरडी शुक्ला ने बताया कि शोध सर्वे विधि में प्रश्नोत्तरी के माध्यम से वाटिका लगाने के पूर्व अध्यापकों और छात्रों के औषधीय पौधों से संबंधित ज्ञान को टटोला गया। इन पौधों का प्रयोग शिक्षण टूल के रूप में करने के बाद फिर से सर्वे किया गया तो सुखद परिणाम प्राप्त हुए। सभी छात्र इन पौधों को पहचानने लगे एवं इनके प्रयोग से परिचित हो गए। इनसे अनेके बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। राजकीय इंटर कॉलेज फुरसतगंज के प्रधानाचार्य संदीप चौधरी के अनुसार वाटिका का प्रयोग अंतरविषयों कृषि, सामाजिक विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण आदि को समझाने में भी किया गया। यह अध्ययन रिपोर्ट उन्नति इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मल्टीडिसिप्लीनरी साइंटिफिक रिसर्च के अगस्त अंक में प्रकाशित हुआ है।
औषधीय पौधे दैनिक जीवन में उपयोग
● मीठी नीम एंटीफंगल, एंटीडायबिटिक, एंटीबायोटिक आदि
● लेमन ग्रास एंटीऑक्सीडेंट, एंटीप्रोटोजोआ, एनेलजेसिक आदि
● अजवाइन कालरा, पेट, अस्थमा, डायबिटीज, एसिडिटी आदि में उपयोगी
● पिपरमिंट एंटीएलर्जिक, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइनफ्लेमेटरी, एंटीडायबिटिक आदि