लखनऊ : यूपी बोर्ड के माध्यमिक विद्यालयों को अब कंपनियां भी संचालित कर सकेंगी। सरकार बोर्ड के 100वें वर्ष पर विद्यालयों को मान्यता देने के नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रही है। नई व्यवस्था में गड़बड़ी करने पर दंड का भी प्रविधान होगा, इसमें धन की वसूली के साथ ही विषय या वर्ग की मान्यता छीनी जा सकती है। साथ ही मान्यता का हर पांच साल में नवीनीकरण भी कराना होगा।
माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) का 100 वर्ष एक अप्रैल को पूरा हो चुका है। यहां मान्यता प्राप्त विद्यालयों की संख्या 27, 892 है। इस वर्ष की बोर्ड परीक्षा में 51 लाख 92 हजार 616 परीक्षार्थी पंजीकृत रहे हैं। शैक्षिक सत्र 2021-22 में कक्षा नौ से 12 तक के कुल पंजीकृत छात्र छात्राओं की संख्या एक करोड़ 10 लाख 40 हजार 323 हैं। सरकार ने लोक कल्याण संकल्प पत्र में मिशन के तहत 30 हजार माध्यमिक विद्यालयों के बुनियादी ढांचे का नवीनीकरण करने का वादा किया था, ताकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की संस्तुतियों का क्रियान्वयन हो सके और विद्यालयों को मान्यता देने की प्रक्रिया सरल हो।
माध्यमिक विद्यालयों का संचालन सोसाइटी या ट्रस्ट के माध्यम से होता रहा है, अब अलाभकारी कंपनी को भी शामिल किया जा रहा है। विद्यालय की प्रशासन योजना का अनुमोदन संयुक्त शिक्षा निदेशक से लेकर ट्रस्ट, सोसाइटी या कंपनी की साधारण सभा को सौंपने की तैयारी है। मान्यता लेने के बाद उसका पांच वर्ष पर नवीनीकरण भी कराना होगा। इसी तरह से व्यावसायिक शिक्षा के तहत दो वोकेशनल ट्रेड पढ़ाने की व्यवस्था करनी होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष माध्यमिक शिक्षा विभाग प्रस्तुतीकरण कर चुका है, जल्द ही इसे कैबिनेट में ले जाने की तैयारी है।
वैनामा ही नहीं, 30 साल की भूमि की रजिस्टर्ड लीज या डीड भी मान्य: पहले विद्यालय, सोसाइटी या ट्रस्ट के नाम भूमि का रजिस्टर्ड बैनामा जरूरी था लेकिन अब इन संस्थाओं के अलावा कंपनी 30 साल की रजिस्टर्ड लीज या डीड पर भी विद्यालय संचालित कर सकेंगे। भूमि का मानक दोगुना हो गया है। ग्रामीण क्षेत्र में 4000 व क्रीड़ास्थल 1500 वर्ग मीटर व शहर में 2000 व क्रीडास्थल 750 वर्ग मीटर हो सकता है।
विद्यालयों में स्मार्ट क्लास अनिवार्य
मान्यता के लिए विद्यालयों में स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, आर्ट रूम, हाईस्पीड नेटवर्क वाईफाई, योग व व्यायाम शिक्षक की व्यवस्था करना अनिवार्य है। वहीं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हाईस्कूल स्तर पर त्रिभाषा, इंटर स्तर पर द्विभाषा शिक्षण दिया जाना है। विषयों के चयन में स्वतंत्रता व लचीलापन, स्कूलों की ईमेल व वेबसाइट, परामर्शदाता की व्यवस्था बालक-बालिका के लिए अलग-अलग शौचालय, स्वच्छ पेयजल व्यवस्था, खेलकूद के लिए पर्याप्त स्थान, सह पाठ्यक्रम गतिविधियां, संचार प्रौद्योगिकी संसाधनयुक्त विद्यालय और दिव्यांगों के लिए सुविधाएं दिया जाना है।
मान्यता देने का शुल्क भी बढ़ना तय
• इंटर वनटाइम मान्यता प्रतिवर्ग 30,000 इंटर –
• इंटर के अतिरिक्त वर्ग के लिए 20,000 इंटर – के सभी वर्ग के लिए प्रतिवर्ग 25,000 –
• पहली बार हाईस्कूल या इंटर- 30,000 – हाईस्कूल के लिए 75,000
के लिए पहली बार प्रतिवर्ग 30,000 –
• इंटर के अतिरिक्त वर्ग के लिए प्रतिवर्ग 00 – – 35,000
• नवीनीकरण शुल्क – 00-30,000
• हाईस्कूल का प्राभूत कोष 15,000 5,00,000 – –
हाईस्कूल का सुरक्षित कोष T – 3000 – 1, 50000
• इंटर का प्राभूत कोष 5,000 2,00,000 –
इंटर का सुरक्षित कोष- 2,000 – 1,00,000
• सीधे इंटरमीडिएट (11-12) प्राभूत कोष 00 –
• सीधे इंटरमीडिएट (11-12 ) सुरक्षित कोष 00 – 1,50,000