लखनऊ। प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल के बच्चों के पास स्मार्ट फोन है नहीं और विभाग ने डिजिटल लर्निंग गतिविधियों को लागू कर दिया। पाठ्य सामग्री, वर्क बुक, सीखने की गतिविधियां दीक्षा व रीडिंग एप से लिंक व पीडीएफ पर उपलब्ध करायी जा रही हैं। शिक्षक इसकी मदद से पढ़ा रहे हैं लेकिन छात्र इस्तेमाल करना नहीं जानते। इन स्कूलों में 80 फीसदी छात्रों के पास एंड्रायड फोन नहीं है। इससे बच्चे घर पर अभ्यास नहीं कर पा रहे।
शिक्षा विभाग ने कोरोना कॉल मे कॉन्वेंट की तर्ज पर बेसिक स्कूलों के बच्चों को पढ़ाने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की। दीक्षा व रीड एलांग एप शुरू की। महानिदेशक बेसिक शिक्षा विजय किरण आनंद विभागीय अधिकारियों को डिजिटल लर्निंग के प्रचार-प्रसार पर जोर दे रहे हैं।
● वर्कबुक समेत कई सुविधा एप पर, बच्चों के पास फोन नहीं
विभाग के निर्देश पर डिजिटल लर्निंग पर जोर दिया जा रहा है। निपुण भारत मिशन, स्कूल रेडिनेस आदि गतिविधियां करायी जा रही हैं। अभिभावकों पर मोबाइल का दबाव नहीं डाला जा रहा है। अरुण कुमार, बीएसए, लखनऊ
● दीक्षा और रीडिंग एप के जरिए उपलब्ध कराई पाठ्य सामग्री
मोबाइल तो है लेकिन इंटरनेट के लिए पैसे नहीं
प्राथमिक और जूनियर स्कूलों में पढ़ने वाले 20 फीसदी अभिभावकों के पास स्मार्ट फोन तो है लेकिन इंटरनेट चलाने के लिए पैसे नहीं हैं। शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन घर सीखने व पढ़ने के सुझाव को अभिभावक नकार रहे हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों के अभिभावक। वहीं प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि मोबाइल न होने की वजह से बच्चे घर पर अभ्यास नहीं कर रहे हैं। जिससे उनकी पढ़ाई का नुकसान हो रहा है और वे पिछड़ रहे हैं।
● सुशील सिंह