हजारों छात्रों की पढ़ाई छूटने का संकट टला
अच्छी बात है कि बोर्ड अधिकारियों ने अपनी गलती सुधार ली है। बिना पूर्व सूचना दिए अचानक से आधार अनिवार्य करना अनुचित था। ग्रामीण क्षेत्र में अधिसंख्य छात्र-छात्राओं के पास आधार नहीं है। ऐसे में आधार के नाम पर बच्चों को शिक्षा से वंचित करना न्यायसंगत नहीं होता। सुरेश कुमार त्रिपाठी, एमएलसी और नेता शिक्षक दल विधानपरिषद
● आधार के कारण हजारों बच्चों को छोड़नी पड़ती पढ़ाई
प्रयागराज । यूपी बोर्ड के कक्षा नौ व 11 में अग्रिम पंजीकरण और 10वीं-12वीं की परीक्षा के ऑनलाइन पंजीकरण में आधार की अनिवार्यता समाप्त होने से हजारों छात्र-छात्राओं के सामने पढ़ाई छूटने का संकट टल गया है। आधार के कारण पंजीकरण कम होने और स्कूलों के दबाव में ही बोर्ड ने प्रति छात्र 100 रुपये विलंब शुल्क के साथ 2023 की 10वीं-12वीं परीक्षा के फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 16 से बढ़ाकर 25 अगस्त कर दी थी।
अगस्त के पहले सप्ताह में वेबसाइट पर पंजीकरण के लिए आधार अनिवार्य होने से कक्षा नौ से 12वीं तक के हजारो बच्चों के समक्ष पढ़ाई छूटने का खतरा पैदा हो गया था। बोर्ड से संबद्ध 27735 स्कूलों में 2332 राजकीय, 4528 सहायता प्राप्त और 20875 वित्तविहीन है। अधिकतर वित्तविहीन स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में हैं जहां जागरूकता के अभाव में अभी भी बड़ी संख्या में बच्चों के पास आधार नहीं है।
पंजीकरण के दौरान छात्र-छात्राओं को बगैर सूचित किए और आधार बनवाने का मौका दिए इतना बड़ा बदलाव होने से अभिभावकों के साथ ही स्कूलों के प्रधानाचार्य और प्रबंधक परेशान थे। कानूनी तौर भी आधार संख्या के नाम पर बच्चों को पढ़ाई से वंचित करना कानूनी तौर पर उचित नहीं था।