गौरीगंज (अमेठी)। परिषदीय स्कूलों को निजी स्कूल की तर्ज कर संचालित करने की कवायद जिले में परवान नहीं चढ़ पा रही है। शैक्षिक सत्र प्रारंभ होने के बाद विभाग ने 115 प्रकार की पाठ्य पुस्तकों की डिमांड नामित संस्था से की थी। डिमांड के बावजूद नामित संस्था की ओर से अब तक महज 21 प्रकार की ही पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति हो सकी है। ऐसे में फटी-पुरानी पाठ्य पुस्तकों से नौनिहाल अपना भविष्य उज्जवल बनाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। अक्तूबर माह में अर्धवार्षिक परीक्षा प्रस्तावित होने के बावजूद किताबें नहीं मिल पाना विभाग की गुणवत्ता परक शिक्षा पर सवाल उठा रहा है।
बेसिक शिक्षा विभाग सर्व शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को शिक्षित करने में जुटा है। बच्चों को शिक्षित किया जा सके इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से जिले में 1,139 प्राथमिक, 234 उच्च प्राथमिक व 197 कंपोजिट परिषदीय स्कूल संचालित किए जाते हैं। इन स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक की कक्षाओं में मौजूदा समय 2.06 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। पंजीकृत विद्यार्थियों को शैक्षिक सत्र में नई पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराने के लिए विभाग की ओर कक्षा एक से आठ तक हिन्दी, उूर्द व अंग्रेजी माध्यम की 115 प्रकार की पाठ्य पुस्तकों की डिमांड नामित प्रकाशक व आपूर्ति संस्था से की गई है। एक अप्रैल से संचालित शैक्षिक सत्र के छह माह बीतने के बावजूद अधिकांश नौलिहालों के हाथों में फटी-पुरानी किताबें हैं तो गरीब घर के कई विद्यार्थी बिना किताब के पढ़ाई कर अपना भविष्य संवारने की कोशिश कर रहे हैं।
आलम यह है कि नामित आपूर्ति संस्था की ओर से अब तक कक्षा छह की हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, महान व्यक्तित्व, कृषि विज्ञान, गृह शिल्प, खेल और स्वास्थ्य व गणित तो कक्षा आठ में इतिहास, विज्ञान, अंग्रेजी, भूगोल की पाठ्य पुस्तकों की ही आपूर्ति की जा सकी है। इसी तरह कक्षा तीन में हिन्दी, अंग्रेजी हमारा परिवेश, संस्कृत व गणित तो कक्षा एक व दो में हिन्दी, चार में फुलवारी व संस्कृत तथा पांच में वाटिका पुस्तकों की आपूर्ति हुई है। किसी भी कक्षा में संपूर्ण विषय व तीनों माध्यम की पाठ्य पुस्तके नहीं मिली हैं। कक्षा सात में एक भी विषय की किताबें नहीं आई हैं। अक्तूूबर माह में अर्ध वार्षिक परीक्षा प्रस्तावित है। ऐसे में करीब आधा शैक्षिक सत्र बीतने के बावजूद किताबेें नहीं होने से बेसिक शिक्षा विभाग की गुणवत्तापरक शिक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में नौनिहालों का भविष्य खतरे में है।
दो किताबों की गुणवत्ता का नहीं हुआ परीक्षण
नामित संस्था की ओर से कक्षा पांच के संस्कृत व प्रकृति विषय की पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति की गई है। आपूर्ति पाठ्य पुस्तकों की गुणवत्ता का परीक्षण जिला स्तरीय कमेटी से अब तक नहीं हो सका है। कमेटी से सत्यापन के बाद पाठ्य पुस्तकों का वितरण किया जाएगा।
कक्षावार विद्यार्थियों की संख्या
बेसिक शिक्षा विभाग के पास मौजूद आकड़ों के अनुसार जिले में संचालित 1,139 प्राथमिक, 234 उच्च प्राथमिक स्कूल, 197 कंपोजिट स्कूल के साथ 33 सहायता प्राप्त स्कूल, 15 33 सहायता प्राप्त स्कूल, 15 राजकीय व पांच मदरसा में कक्षा एक में 25,351, कक्षा दो में 27,824, कक्षा तीन में 30,484, कक्षा चार में 29,771, कक्षा पांच में 27,966, कक्षा छह में 23,793, कक्षा सात में 19,836 तथा कक्षा आठ में 18,725 विद्यार्थी पंजीकृत हैं।
नहीं मिली एक भी कार्य पुस्तिका
जिला समन्वयक सामुदायिक सहभागिता संजय मौर्या ने बताया कि कक्षा एक से आठ तक पंजीकृत 2.06 लाख बच्चों के लिए हिन्दी, अंग्रेजी व उूर्द माध्यम की 115 प्रकार की 10,94,346 किताबों की तो 1,46,834 कार्य पुस्तिका की डिमांड हुई है। अब तक जिले में 21 प्रकार की 4,84,548 पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति हुई है। आपूर्ति मिलने के बाद बीआरसी के माध्यम से स्कूलों तक पाठ्य पुस्तके वितरित की जा रही हैं।
जल्द मिलेगी शत प्रतिशत पाठ्य पुस्तकें
बीएसए संगीता सिंह ने बताया कि नामित संस्था की ओर से लगातार पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति की जा रही है। जल्द ही डिमांड के अनुसार शत-प्रतिशत पाठ्य पुस्तकें पहुंचने की उम्मीद है। आपूर्ति मिलने के बाद किताबों का वितरण किया जा रहा है। नई व पुरानी पाठ्य पुस्तक से बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। नौनिहालों को बेहतर ढंग से शिक्षित करना उनकी प्राथमिकता है। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी