● आरकेपुरम स्थित एमसीडी स्कूल से शुरू हुई थी परियोजना
● छात्रों को कानूनी अधिकारों के बारे में भी जानकारी दी गई
नई दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और डीएसएलएसए के संरक्षक सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि अगर बच्चे फूलों की तरह हैं तो उनका पोषण और रक्षा करने के लिए हम उनके माली हैं। हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ बचपन दिया जाए।
डीएसएलएसए ने दिल्ली के 150 स्कूलों के बच्चों को सुरक्षित और असुरक्षित स्पर्श के बारे में जागरूक करने का प्रयास किया है। मुख्य न्यायाधीश ने ये बातें निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में शनिवार को आयोजित डीएसएलएसए, शिक्षा विभाग दिल्ली नगर निगम और शिक्षा निदेशालय दिल्ली सरकार के सहयोग से आयोजित कॉन्वर्सेशन ऑन टच एंड प्रोटेक्टिंग टेंडर हार्ट्स प्रोजेक्ट के समापन समारोह में कहीं। उन्होंने कहा कि दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण ने मुफ्त कानूनी सहायता के लिए स्कूलों में 150 सूचना बोर्ड भी स्थापित किए हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने शिक्षा विभागों से पुनरावर्ती सत्र आयोजित करने के लिए भी कहा ताकि बाल शोषण से जुड़ी गोपनीयता और शर्म को हतोत्साहित किया जा सके। उन्होंने कहा कि स्कूलों को बाल शोषण से प्रभावित हुए बच्चों की हर संभव मदद करनी चाहिए और उन्हें मनोवैज्ञानिक और कानूनी सहायता प्रदान करनी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने छात्रों से स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर तिरंगा अपने घर लाने और फहराकर आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की भी अपील की। समारोह में उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल के अलावा निगम के विशेष अधिकारी अश्वनी कुमार, निगमायुक्त ज्ञानेश भारती सहित निगम के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।