सुलतानपुर: कांवेंट की तर्ज पर परिषदीय विद्यालयों में होने वाली तिमाही परीक्षा सिर पर है। 30 फीसद पाठ्यक्रम पूरा करने के निर्देश जिम्मेदारों को मिल चुके हैं। इससे इतर सच्चाई यह है कि अब तक मात्र 12 फीसद किताबों की ही आपूर्ति प्रकाशकों द्वारा विद्यालयों में की जा सकी। इस कारण बिना पढ़े ही नौनिहालों को पहली तिमाही की परीक्षा में बैठने को विवश होना पड़ेगा।चालू शैक्षणिक सत्र के लिए परिषदीय विद्यालयों में 13 प्रकाशक समूहों द्वारा 121 तरीके की 18 लाख 35 हजार किताबें आपूर्ति की जानी हैं। 13 जुलाई को लखनऊ प्रिंटर्स एवं पब्लिशर्स, अनुपम प्रकाशन मथुरा द्वारा कुल लक्ष्य का 12 फीसद यानि एक लाख 87 हजार किताबों की ही आपूर्ति की गई। इसमें कक्षा छह में अक्षरा की 35,233, महान व्यक्तित्व 30,000, कृषि विज्ञान 16,858, कक्षा एक के कलरव 35,624, कक्षा दो के किसलय 37,881 व कक्षा सात में दीक्षा की 31,666 किताबें शामिल हैं।10 से 12 हजार मिलीं पुस्तकेंजिले में वर्तमान में कुल 2,064 परिषदीय विद्यालयों में 2,71,528 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। इनमें 2,08,315 विद्यार्थी अगली कक्षाओं में प्रोन्नत किए गए हैं। वहीं, नया प्रवेश पाने वाले 63,213 विद्यार्थी भी शामिल हैं। हर ब्लाक संसाधन केंद्र पर 90 हजार से करीब एक लाख किताबों की आवश्यकता है। तीन माह के अथक प्रयास के बाद भी बीआरसी को दस से 12 हजार किताबें मिल सकीं।मोह हो रहा भंग, कटवा रहे नामलचर व्यवस्था और जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते परिषदीय विद्यालयों से अभिभावकों का मोह भंग हो रहा है। दूबेपुर विकास खंड के बाबाजी का सगरा निवासी सुरेश कुमार ने बताया कि ड्रेस, जूता मोता व किताब-कापी की आपूर्ति समय से न होने से शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा था। इसके लिए बेटे का नाम कटवाकर कांवेंट में लिखवा दिया। लम्भुआ के सराय जुझार निवासी संदीप कुमार का कहना है कि सरकारी विद्यालयों में व्यवस्था ठीक न होने से बेटी का नाम कटवा दिया। अभी तक वह पुरानी किताबों से ही पढ़ रही थी।जिला समन्वयक सामुदायिक उपेन्द्र सिंह ने बताया कि आपूर्ति करने वाले प्रकाशकों से संपर्क किया जा रहा है। किताबें आते ही सत्यापन कर बच्चों में वितरित कर दी जाएंगी।
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