स्कूलों में बतौर कोच भर्ती हुए थे अनुदेशक, पढ़ाने लगे सब्जेक्ट
● जूनियर हाईस्कूल में खेल के नाम पर भर्ती अनुदेशकों के साथ खेल
स्पोर्ट्स यूनिफार्म तक सीमित खेल
जिले के राजकीय इंटर कालेजों में तो खेल शिक्षक ही नहीं हैं जिससे खेलकूद प्रतियोगिताएं हो सकें। जो शिक्षक हैं भी वह विषय शिक्षकों के रूप में शिक्षण कार्य कर रहे हैं। वहीं निजी इंटर कालेजों में खेल प्रतियोगिताओं के नाम पर खेल होता है। सप्ताह में एक दिन बच्चों को स्पोर्ट्स यूनिफार्म पहनकर स्कूल जाना जरूरी है। स्पोर्ट्स डे के दिन भी खेलकूद गतिविधियां महज खानापूर्ति के लिए की जाती हैं। कई कालेजों के पास तो खेल के मैदान तक नहीं हैं जहां खेलकूद प्रतियोगिताएं कराई जा सकें। उधर युवा कल्याण विभाग भी सिर्फ वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित कर खानापूर्ति कर रहा है। युवक व मंगल दलों को स्पोर्ट्स किट गांव के बच्चों व युवाओं को खेल प्रतियोगिताएं कराने के लिए दी गई थी, लेकिन ज्यादातर खेल सामग्री मंगल दलों के घरों में ही रखी हैं।
● खेल अनुदेशकों को भी विभाग ने हिंदी, गणित पढ़ाने में लगाया
हॉकी व फुटबॉल प्रतियोगिता आज
हाकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद के जन्मदिवस के मौके पर जिला खेल कार्यालय परिसर में सोमवार को बालकों के बीच हाकी व फुटबाल प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। जिला क्रीड़ा अधिकारी सुनील कुमार भारती ने बताया कि हाकी व फुटबाल प्रतियोगिता 14 वर्ष के बालकों के लिए है। सुबह नौ बजे से प्रतियोगिता की शुरुआत होगी। भाग लेने वाले खिलाड़ी अपने साथ प्रधानाचार्य से प्रमाणित जन्म तिथि प्रमाणपत्र जरूर लाएं। विजेता व उपविजेता टीमों को पुरस्कृत किया जाएगा।
लखीमपुर, सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए एक जिला एक खेल योजना चला रही है। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती पूरे देश में खेल दिवस के रूप में मनाई जाती है। अगर खीरी जिले में खेलों की बात की जाए तो खेल के लिए तैनात शिक्षकों की तैनाती तो खेल शिक्षक के रूप में हुई लेकिन वह स्कूलों में हिन्दी, गणित आदि पढ़ा रहे हैं। जब कभी वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताएं होती हैं तो इन शिक्षकों को बुलाया जाता है नहीं तो यह शिक्षक भी विषयों के शिक्षक बनकर रह गए हैं। वहीं खीरी जिले में स्पोर्ट्स स्टेडियम भी सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है।
जिले में बेसिक शिक्षा विभाग जूनियर स्कूलों में शारीरिक शिक्षा (खेल कोटे) से 230 अनुदेशकों की तैनाती हुई। खेल कोटे से तैनात इन अनुदेशकों को स्कूलों में बच्चों की खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करना था। जिससे बच्चे खेल विधाओं में आगे बढ़ सकें। लेकिन इन खेल शिक्षकों की स्कूलों में तैनाती तो खेलकूद प्रतियोगिताएं कराने के लिए हुई लेकिन यह स्कूलों में गणित पढ़ा रहे हैं या फिर हिन्दी पढ़ा रहे हैं। खेल गतिविधियों को छोड़कर यह शिक्षक अन्य विषय पढ़ा रहे हैं। ऐसे में जिले में खेलों के प्रति किस तरह से बच्चों को तैयार किया जा रहा है यह जाना जा सकता है। हालांकि बीएसए डॉ.लक्ष्मीकांत पाण्डेय ने बताया कि सभी प्राइमरी व जूनियर दोनों स्कूलों के शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि सप्ताह में एक दिन खेलकूद प्रतियोगिताएं जरूर कराएं। जो टाइम टेबल तैयार किया गया है उसमें भी खेल गतिविधियों को शामिल किया गया है। बीएसए डॉ. लक्ष्मीकांत पांडे का कहना है कि जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी है। अनुदेशक भी शिक्षक ही हैं। वह बच्चों को पढ़ाने में रुचि लेते हैं। साथ ही खेल भी खिलाते हैं।