लखनऊ, नए विद्यालयों को मान्यता देने के मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में प्रदेश के 119 खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है। इन अधिकारियों ने तय समय में अपनी निरीक्षण रिपोर्ट नहीं भेजी, जिससे मान्यता के प्रकरणों का निस्तारण नहीं हो पाया।
हर साल नए शैक्षिक सत्र के पहले बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा नए प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को नियम व शर्तें पूरी करने पर मान्यता दी जाती है। साथ ही नए सिरे से मान्यता के लिए आवेदन पत्र भी आमंत्रित किए जाते हैं। मान्यता देने के लिए एक अप्रैल से पोर्टल पर आनलाइन आवेदन लिए गए थे। इस दौरान लगभग 1400 स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन किया। इन प्रकरणों का हर हाल में एक महीने में निस्तारण करना होता है। विभाग ने विगत 31 मई को इसकी रिपोर्ट देखी थी तो 1325 प्रकरण कार्यालयों में ही लंबित पाए गए थे। मान्यता संबंधी ये मामले जनहित गारंटी अधिनियम में भी शामिल हैं, जिनकी निगरानी मुख्यमंत्री कार्यालय भी करता है। बावजूद इसके बेसिक शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारी तय समय पर काम नहीं कर रहे हैं। विभाग ने इन मामलों को 15 जून तक निस्तारित करने का आदेश देते हुए देरी होने पर जवाब-तलब भी किया था।
प्राथमिक विद्यालयों को मान्यता देने के 666 प्रकरण पिछले वर्ष निरस्त हो चुके हैं। हालांकि विभाग इन मामलों में अधिकारियों की जिम्मेदारी तय नहीं कर पाया। इसी बीच 1325 नए विद्यालयों को मान्यता के मामले बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) व बीईओ के कार्यालयों में लंबित पाए गए।