अब मिड डे मील बनवाना मुश्किल है
बुलंदशहर के 2399 स्कूलों में 2.76 लाख बच्चों के लिए प्रधानाध्यापक सात माह से अपनी जेब से मिड डे मील बनवा रहे हैं। करीब पांच करोड़ रुपया शिक्षकों का विभाग पर बकाया है। अब मिड डे मील बनवाना मुश्किल है।
- सुरेंद्र यादव, अध्यक्ष यूपी प्राथमिक शिक्षक संघ बुलंदशहर
पत्र लिखकर धनराशि मांगी गई है
मध्याह्न भोजन प्राधिकरण को पत्र लिखकर दोनों तिमाही की परिवर्तन लागत आदि की धनराशि मांगी गई है। खंड शिक्षाधिकारियों के माध्यम से दिक्कतों की जानकारी हुई है। एमडीएम का वितरण कहीं रुका नहीं है।
- सुरजीत कुमार सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी कानपुर
कानपुर। उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में स्कूली बच्चों का मिड डे मील संकट में है। यहां भोजन उपलब्ध कराने के लिए कन्वर्जन कॉस्ट महीनों से नहीं मिली है। शिक्षक कर्ज व उधार लेकर अब तक व्यवस्था कर रहे थे लेकिन अब उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। इन जिलों के शिक्षकों पर 125 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया है।
कानपुर में शिक्षकों और प्रधानों ने आगे मिड डे मील बांट पाने में असमर्थता जता दी है। प्रतापगढ़ में स्कूलों के चूल्हे ठंडे पड़ गए हैं। एमडीएम की जगह उन्हें या तो बिस्किट दिए जा रहे या दोपहर में घर भेज दिया जाता है। मेरठ में पिछले 10 महीने से बजट न मिलने से शिक्षक उधार में दब चुके हैं। आगरा में शिक्षकों ने बढ़ती उधारी देख मिड डे मील बांटने से इनकार करते हुए पत्र भी लिख दिया है।
कानपुर में सबसे ज्यादा बकाया
कानपुर में शिक्षकों ने मिड डे मील बांटने से हाथ खड़े कर दिए हैं। यहां कन्वर्जन कॉस्ट का 28 करोड़ रुपया उधार हो चुका है। शिक्षकों ने मजबूरी जता दी तो बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मध्याह्न भोजन प्राधिकरण को पत्र भेजकर कहा है कि छह महीने से कन्वर्जन कॉस्ट, रसोइया मानदेय और फल वितरण की धनराशि नहीं मिली है। यह रकम 28.97 करोड़ है। एक शिक्षक ने कहा-हम अपने संबंधों के आधार पर दुकानदारों से सामान खरीदकर बच्चों को भोजन करा रहे हैं। हम पर कर्ज बढ़ रहा है लेकिन विभाग छह महीने से पैसा नहीं दे रहा। हम कब तक ऐसा कर पाएंगे? एक अधिकारी ने माना कि स्कूलों को मार्च से अब तक कन्वर्जन कॉस्ट और जुलाई से अब तक खाद्यान्न नहीं मिला है। प्रधानों ने भी मदद करने से मना कर दिया है। कल्याणपुर के एक शिक्षक पर तो 2.25 लाख रुपये का कर्ज हो गया है। कई खंड शिक्षा अधिकारियों ने बीएसए को लिखा है कि शिक्षक योजना का संचालन आगे जारी रखने को तैयार नहीं हैं। उन्हें कन्वर्जन कॉस्ट ही नहीं, दूध और फल का पैसा भी नहीं मिल रहा है।
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जिलों में बेसिक और जूनियर स्कूलों के शिक्षकों को महीनों से नहीं मिली कन्वर्जन कॉस्ट
बकाया में टॉप फाइव जिले
जिला बकाया
● कानपुर 28 करोड़
● शाहजहांपुर 17 करोड़
● गोरखपुर 14 करोड़
● मिर्जापुर 07 करोड़
● महराजगंज 07 करोड़
इन जिलों के शिक्षक भी उधार में फंसे
बस्ती, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, देवरिया, प्रतापगढ़, बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं, पीलीभीत, मेरठ, बुलंदशहर, झांसी, उरई, चित्रकूट, उन्नाव, ललितपुर, औरैया।