स्कूल की दशा सुधरी तो नामांकन भी 36 से बढ़कर 62 हो गए, कोरोना काल में छुट्टियों के वक्त संवारा गया इस स्कूल को
झांसी। सुंदर क्लासरूम कुर्सी मेज पर बैठकर पढ़ते बच्चे स्कूल में जगह जगह ऐसी चित्रकारी कि नजर
ना हटे। हम यहां किसी बड़े पब्लिक स्कूल की बात नहीं कर रहे बल्कि यह पहचान है बड़ागांव ब्लाक के गांव बावल के प्राथमिक स्कूल को कई मायनों में यह स्कूल पब्लिक स्कूलों को टक्कर दे रहा है। खास बात यह है कि इस स्कूल को शिक्षकों ने ही संवारा है। कोराना काल में जब स्कूल बंद रहे तब यहां सुधार कार्य कराए जा रहे थे।
स्कूल तो आपने बहुत देखे होंगे लेकिन अगर व्यवस्थित, साफ सुधरा या यूं कहिए कि पब्लिक स्कूल जैसा प्राइमरी स्कूल देखना है तो आपको बावल आना होगा। इस स्कूल के स्टॉफ ने न तो बजट का रोना रोया और न ही अव्यवस्थाओं का दुखड़ा कभी अफसरों को सुनाया। स्कूल को संवारने की बीड़ा सबने मिलकर उठाया और चमका दिया पूरा भवन स्कूल में प्रवेश करते हो सुंदर फुलवारी दिखती है। कहीं गंदगी नहीं मिलेगी। स्कूल में 4 कक्ष हैं, जिनमें से तीन में कक्षाएं संचालित की जाती हैं।स्कूल की दीवारों पर पॉटग की गई है जो कि विद्यार्थियों को आकर्षित करती है। कक्षा के अनुसार ही चित्रकारी की गई है, जिसमें फल, सौरमंडल, आकार, वर्णमाला और गिनती लिखी है। कक्षा एक में तो विद्यार्थियों के लिए फल आदि के आकार काटकर कक्षा में ही लटकर रखे हैं। स्कूल में 90 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी यूनिफार्म में उपस्थित होते हैं। विद्यालय में अनुशासन भी खूब रहता है।