जीर्णोद्धार के लिए नहीं मिल रहे जर्जर संस्कृत विद्यालय
पूरे मंडल से पांच एडेड कॉलेजों ने दी सहमति
प्रोजेक्ट अलंकार के तहत ही सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों के जीर्णोद्धार की योजना में भी प्रबंधन रुचि नहीं ले रहे। पूरे मंडल से मात्र पांच स्कूलों के प्रबंधन ने जीर्णोद्धार के लिए 50 प्रतिशत मैचिंग राशि देने की लिखित सहमति दी है। इनमें प्रयागराज से मात्र दो स्कूल कुलभाष्कर आश्रम कृषि इंटर कॉलेज और विक्रमादित्य सिंह इंटर कॉलेज बहरिया ने सहमति दी है।
संस्कृत विद्यालयों के पास रुपये होते तो वे स्वयं मरम्मत या जीर्णोद्धार करवा लेते, इसके लिए सरकार का मुंह ताकने की क्या जरूरत। हम किसी तरह चंदा लेकर बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं। हमारे पास जीर्णोद्धार के लिए लाखों रुपये नहीं हैं।
प्रो. एमसी चटोपाध्याय, प्रबंधक सौदामिनी संस्कृत महाविद्यालय
प्रयागराज, प्रमुख संवाददाता। प्रोजेक्ट अलंकार के तहत जीर्णोद्धार के लिए सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालय नहीं मिल रहे हैं। जीर्णोद्धार पर आने वाले खर्च की 50 प्रतिशत राशि प्रबंधन की ओर से वहन करने की शासन की शर्त के कारण प्रबंधकों ने इस प्रोजेक्ट से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। इसके चलते 50 साल से अधिक पुराने संस्कृत विद्यालयों के जीर्णोद्धार के लिए पिछले साल जारी 28 करोड़ रुपये का बजट लैप्स हो गया था।
शासन ने 26 अगस्त को फिर से 28 करोड़ रुपये बजट जारी करते हुए जिलाधिकारियों से जर्जर संस्कृत विद्यालयों के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव मांगा है। प्रदेश में कक्षा छह से 12 तक के 958 संस्कृत विद्यालयों में से उन स्कूलों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है जहां 100 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।
जीर्णोद्धार के लिए प्रबंधतंत्र को 50 प्रतिशत राशि देने का शपथपत्र देना होगा। उदाहरण के तौर पर स्कूल में 100 से 250 छात्र हैं और राज्य सरकार अधिकतम 50 लाख रुपये की राशि अनुमन्य करती है तो प्रबंधतंत्र को भी 50 लाख देने होंगे। स्कूल चिह्नित करने के लिए डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी गठित की गई है। पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता और माध्यमिक शिक्षा के वित्त एवं लेखाधिकारी समिति के सदस्य होंगे जबकि जिला विद्यालय निरीक्षक को सदस्य सचिव बनाया गया है।