लखनऊ
शिक्षामित्रों का न तो स्थानांतरण हो सकता है और न ही उनके मृतक आश्रित को नौकरी दी जा सकती है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र लिख कर स्पष्ट किया है कि शिक्षामित्र का पद संविदा का होता है और संविदाकर्मियों के आश्रितों को मृतक आश्रित श्रेणी में नियुक्त करने का कोई नियम या शासनादेश नहीं है। एक आईजीआरएस शिकायत का जवाब देते हुए उन्होंने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2017 में 1.37 लाख शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया गया और एक अगस्त से उन्हें शिक्षामित्र के पद पर तैनाती दी गई। राज्य सरकार ने 3500 से मानदेय को बढ़ाते हुए 10 हजार रुपये किया और यह मानदेय उन्हें 11 महीने के लिए दिया जाता है। चूंकि यह पद संविदा का है इसलिए मृतक आश्रित की नियुक्ति का कोई प्राविधान नहीं है। जुलाई 2018 में शिक्षामित्रों को उनके मूल स्कूल में तैनाती का आदेश जारी किया गया था क्योंकि सहायक अध्यापक बनने के बाद उनकी तैनाती के स्कूल बदल गए थे। इसके बाद शिक्षामित्रों के तबादले का कोई आदेश या प्राविधान नहीं है।