गौरीगंज (अमेठी) परिषदीय व सहायता प्राप्त स्कूलों में संचालित मध्यान भोजन योजना जिले में उधारी पर चल रही है। शैक्षिक सत्र में 2.05 लाख पंजीकृत बच्चों को दोपहर में पका पकाया भोजन देने के लिए राशन तो दें दिया गया लेकिन चार माह की परिवर्तन राशि अब तक नहीं दी गई। ऐसे में एमडीएम योजना उधारी के भरोसे संचालित हो रही है। शिक्षक अपने स्तर पर व्यवस्था कर बच्चों को हफ्ते में एक दिन दूध पिला पा रहे हैं।
जिले में संचालित 1139 प्राथमिक 234 उच्च प्राथमिक व 197 कंपोजिट परिषदीय स्कूल के साथ चार मदरसा, एक संस्कृत पाठशाला 33 एडेड जूनियर स्कूल 15 राजकीय, 25 एडेड इंटर कॉलेज के साथ एक संस्कृत माध्यमिक स्कूल में पंजीकृत दो लाख पांच हजार 20 बच्चों को दोपहर में पका पकाया भोजन वितरित किया जाता है। मध्याहन भोजन योजना के तहत सितंबर माह तक का राशन कोटे की दुकानों के माध्यम से स्कूलों तक पहुंचाया जा चुका है। राशन के साथ भोजन तैयार करने के लिए प्राथमिक स्तर पर प्रति छात्र 4.97 रुपये तो उच्च प्राथमिक स्तर पर 7.45 रुपये की धनराशि स्कूल के खाते में बेसिक शिक्षा विभाग अंतरित करता है। मौजूदा शैक्षिक सत्र में अप्रैल माह तक की ही परिवर्तन लागत स्कूलों को दी गई है। आवंटित परिवर्तन लागत में ही शिक्षकों को बुधवार को स्कूल में विद्यार्थियों को दूध भी पिलाना होता है। बेसिक शिक्षा विभाग की इतनी महत्वपूर्ण योजना होने के बावजूद अब तक मई, जून, जुलाई व अगस्त माह में भोजन तैयार कर बच्चों को वितरित करने के बावजूद परिवर्तन लागत नहीं मिल सकी है। ऐसे में जहां पूरी योजना उधारी पर चल रही वही सप्ताह में एक दिन नौनिहालों को दूध पिलाना शिक्षकों के लिए सर्वाधिक परेशानी का सबब बना हुआ है। विभाग भले ही जिले में मानक के अनुसार एमडीएम संचालित करने का दावा कर रहा है लेकिन हकीकत में अधिकतर शिक्षक स्कूल में किसी तरह भोजन तैयार कर वितरित करने की जुगत में लगे हुए हैं।