विद्यार्थी-अध्यापक शुद्ध हिंदी के प्रति सजग रहें
प्रयागराज, । सर्जनपीठ की ओर से गुरुवार को सारस्वत सभागार लूकरगंज में शुद्धता के साथ भाषा का उत्थान कैसे हो? विषय पर परिचर्चा आयोजित की गयी। इस अवसर पर आयोजक भाषाविज्ञानी और समीक्षक आचार्य पं. पृथ्वीनाथ पांडेय ने कहा कि प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर और तकनीकी स्तर पर हिंदी का अशुद्ध प्रयोग एक षड्यंत्र के तहत किया जा रहा है। विद्यार्थियों और अध्यापकों को शुद्ध हिंदी के प्रति सजग रहना होगा।
अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार रमाशंकर श्रीवास्तव ने प्रशासनिक स्तर पर हिंदी शब्दों के अशुद्ध प्रयोग पर चिंता व्यक्त की। मुख्य अतिथि आर्यकन्या डिग्री कॉलेज की हिंदी की विभागाध्यक्ष डॉ. कल्पना वर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया पर हिंदी के अशुद्ध प्रयोग पर अंकुश लगना चाहिए। इविवि हिंदी विभाग के डॉ. राजेश गर्ग ने कहा कि हिंदी भाषा के उच्चारण की शुद्धता को लेकर यूजीसी को सुझाव दिया था। हम भाव बोध और अर्थस्तर पर अशुद्धता को स्वीकार नहीं कर सकते।
विशिष्ट अतिथि इविवि हिंदी विभाग के डॉ. शिव प्रसाद शुक्ल ने कहा कि भाषा सभ्यता और संस्कृति का द्योतक है। आर्यकन्या डिग्री कॉलेज की सहायक आचार्य डॉ. अनुपमा सिंह ने कहा कि प्राथमिक स्तर पर ही शुद्ध बोलना, लिखना सिखाया जाना चाहिए। पत्रकार उर्वशी उपाध्याय ने कहा कि समाचार पत्रों में भाषा की शुद्धता का साप्ताहिक स्तंभ होना चाहिए। डॉ. प्रदीप चित्रांशी ने कहा कि माध्यमिक स्तर पर अध्यापकों के साथ मिलकर भाषा संशोधन करना चाहिए। डॉ. धारवेन्द्र प्रताप त्रिपाठी ने कहा कि अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी के स्तर पर अध्यापन में सुधार होना चाहिए। पत्रकार तौकीर खान, अग्रसेन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. आद्या प्रसाद शुक्ल, विनय तिवारी ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर साहित्यकार सुरेश चंद्र श्रीवास्तव को याद किया गया। आभार ज्ञापन रणविजय निषाद ने किया