नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी पंजीकृत शैक्षणिक संस्थानों में स्टाफ और छात्रों के लिए समान ड्रेस कोड की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, यह कोई ऐसा मामला नहीं है जिसपर अदालत को गौर करना चाहिए।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया ने पीठ से कहा कि यह एक सांविधानिक मुद्दा है लिहाजा अदालत को इस पर गौर करना चाहिए। भाटिया ने यह भी कहा कि यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा, अधिनियम के तहत एकरूपता होनी चाहिए। याचिकाकर्ता का कहना था कि शैक्षणिक संस्थान धर्मनिरपेक्ष सार्वजनिक स्थान हैं और ज्ञान, रोजगार, राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए हैं न कि धार्मिक प्रथाओं का पालन करने के लिए।
नागा साधु का दिया उदाहरण
याचिकाकर्ता ने कहा कि एक सामान्य ड्रेस कोड लागू करना बहुत आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है। तो कल को नागा साधु कॉलेजों में प्रवेश ले सकते हैं और आवश्यक धार्मिक प्रथाओं का हवाला देते हुए बिना कपड़ों के कक्षा में जाने की बात कर सकते हैं। हालांकि पीठ भाटिया की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई।