बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों में इन दिनों खासी निराशा देखी जा रही है। तमाम दावों के बावजूद विभाग अब तक न तो उनका जिले के भीतर तबादला कर और न ही सैकड़ों शिक्षकों का प्रमोशन कर सका। तबादले व पदोन्नति की अरसे से बांट जोह रहे परिषदीय शिक्षकों में इसे लेकर अंदरखाने काफी रोष है।
जिले में फरवरी 2010 के बाद सेवा में आए शिक्षकों का प्रमोशन अब तक लंबित है। बीते कई सालों से पदोन्नति के लिए कोई प्रक्रिया भी नहीं शुरू की गई। कई दफा ब्लॉकों से वरिष्ठता सूची मांगी गई लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ।
तबादले के लिए सालों से इंतजार
जिले के भीतर तबादले की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना काफी समय से जताई जा रही है लेकिन अब तक प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी है। कई साल से जिले के भीतर ट्रांसफर न होने से स्कूलों में छात्र शिक्षक अनुपात असंतुलित है। प्रभाव शैक्षिक व्यवस्था पर पड़ रहा है।
सहायक के वेतन में कर रहे हेडमास्टरी
बिडंबना यह भी है कि जिले में सैकड़ों सहायक शिक्षक कई सालों से प्रभारी प्रधानाध्यापक पद का दायित्व निभा रहे हैं। उन्हें हेडमास्टर पद का वेतन नहीं दिया जाता है। समान पद समान वेतन की अवधारणा अब तक बेसिक शिक्षा विभाग में लागू नहीं हो सकी है। शिक्षक तंज कसते हैं कि जब सहायक अध्यापक के वेतन में ही हेडमास्टर के काम हो रहे हैं तो फिर विभाग पदोन्नति के लिए फिक्रमंद क्यों होगा।
सरकारी अंशदान भी हर माह नहीं
हालात यह हैं कि नई पेंशन स्कीम के अन्तर्गत शिक्षकों के वेतन से प्रत्येक माह कटौती की जा रही है लेकिन सरकारी अंशदान समय से नहीं दिया गया। हाल ही में तीन माह का अंशदान जमा कराया गया है। जून माह से अंशदान अब भी लंबित है। इसके चलते शिक्षकों का पैसा उनके एनपीएस खाते में नहीं गया। सूत्र बताते हैं कि समय पर अंशदान न मिलने से बुढ़ापे के लिए धनराशि जुटा रहे शिक्षकों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।