ज्ञानपुर। जिले में 445 से अधिक आंगनबाड़ी, सहायिका और अन्य कर्मियों के पद खाली पड़े हैं। दो साल से भर्तियां नहीं हो रही हैं। विभागीय स्तर से प्रस्ताव भेजने के बाद भी अब तक कोई पहल नहीं हो सकी। इससे 200 से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दो-दो केंद्र संभालने पड़ रहे हैं। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से जिले में कुल 1492 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इन पर एक आंगनबाड़ी और एक सहायिका की तैनाती की गई थी। 60 साल से अधिक उम्र होने पर आंगनबाड़ी और सहायिकाओं की सेवा समाप्त कर दी गई। हर महीने दो से तीन केंद्र खाली हो रहे हैं, लेकिन रिक्त स्थानों पर नई नियुक्ति नहीं हो पा रही है। इससे 190 आंगनबाड़ी और 246 सहायिकाओं के पद खाली हो चुके हैं। ऐसे में एक-एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को दो-दो केंद्रों की जिम्मेदारी देनी पड़ रही है। वे भी ऐसे केंद्र हैं, जिनके बीच दूरी है। औराई, डीघ, ज्ञानपुर, भदोही और सुरियावां ब्लॉक में ऐसे केंद्रों की संख्या अधिक है। यही हाल सीडीपीओ, डीपीओ कार्यालय का भी है। यहां कई सहायक, लिपिक के पद रिक्त हैं। विभागीय कार्य के लिए आउटसाइडरों का सहारा लिया जाता है। आंगनबाड़ी और सहायिकाओं की कमी से पोषाहार वितरण और अन्य विभागीय गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की कमी से केंद्रों का संचालन भी राम भरोसे चल रहा है। बच्चों, गर्भवती और किशोरियों के पोषण के लिए कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन निगरानी बेहतर न होने से कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की संख्या कम नहीं हो रही है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, अगस्त मेें हुई जांच में डेढ़ हजार से अधिक अति कुपोषित और 15 हजार से अधिक कुपोषित बच्चे मिले हैं।
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