अलीगढ़। गोशालाओं से निकलने वाले गोबर का इस्तेमाल गोबर गैस बनाने में किया जाएगा। इसका ट्रायल तो विभाग ने कर लिया है। बस कुछ तकनीकी कमियों दूर कर इस प्लांट से कार्य शुरू हो जाएगा। इस प्लांट से हर दिन करीब 150 से 170 घन मीटर गैस का उम्पादन हो। जिसका प्रयोग भोजन बनाने आदि के काम में किया जाएगा। यही नहीं इसके वेस्टेज को खाद के रूप में प्रयोग किया जाएगा। इस गोबर गैस प्लांट का संचालन ग्रामीण इलाकों की स्वयं सहायता समूह द्वारा किया जाएगा। इसकी भी कवायद शुरू हो गई है। जल्द ही इसका शुभारंभ विभाग द्वारा कराया जाएगा।
गोबर गैस प्लांट से गैस के साथ ही खाद भी किया जाएगा निर्मित ओवर नगला राजू में स्थापित गोबर गैस प्लांट में 85-85 घन मीटर के दो यूनिट का निर्माण कराया गया है। जिसके माध्यम से गोबर गैस बनाया जाएगा। एक टन गोबर में प्रतिदिन करीब 150 से 170 घन मीटर गैस का उत्पादन होगा। यानी एक माह 5100 घन मीटर गैस का उत्पादन होगा। जिसका प्रयोग गोशाला और समीप के परिषदीय स्कूल में किया जाएगा। इससे अतिरिक्त आय होगी, वहीं गोबर का सही ढंग से इस्तेमाल भी होगा। प्लांट से निकले गोबर से अपशिष्ट से जैविक खाद तैयार की जाएगी। किसानों में इसकी बिक्री की जाएगी। पहल से प्रदूषण दूर होगा। वहीं जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।
डीपीआरओ, धनंजय जायसवाल ने कहा कि गोबरधन योजना के तहत जिले में पहला गोबर गैस प्लांट चंडौस से ग्राम पंचायत ओवर नगला राजू में स्थापित कराया गया है। लगभग कार्य पूरा हो चुका है। गोसेवकों और नौनिहालों का भोजन पकाया जाएगा। इसका संचालन समूह के द्वारा किया जाएगा।
हर दिन पकेगा 200 बच्चों का खाना
गांव में स्थापित गोबर गैस प्लांट से समीप के परिषद विद्यालय के लगभग 200 बच्चों का हर दिन एमडीएम के तहत खाना पकाया जाएगा। इससेईधन की बचत और गोबर का सदुपयोग होगा। इसके लिए गोशाला से विद्यालय तक लगभग 800 मीटर का पाइप लाइन बिछाया गया है। जिससे गैस स्कूल के रसोई तक पहुंच सके। गोसेवक भी गैस से भोजन पकाएंगे।
इस तरह से काम करेगा प्लांट
प्लांट में गोबर पहुंचने के बाद उसमें डायजेस्टर डाला जाता है। उसके बाद ओटोमैटिक गैस बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। जहां पर गैस बनाने को लगातार गोबर को मिक्स किया जाएगा। डायजेस्टर में गोबर का डाइजेशन पर गैस का निर्माण शुरू होता है। यह गैस एक टैंक में पहुंच जाता है। स्टोर गैस को पाइप लाइन के जरिए सप्लाई किया जाता है।