आगरा। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत हजारों शिक्षक पिछले कई वर्षों से प्रमोशन व स्वैच्छिक स्थानांतरण की राह देख रहे हैं, विभाग के उच्चाधिकारी अखबारों में बयान देकर गहरी नींद में सो जाते हैं। प्रदेश के हजारों विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन हैं तथा हजारों की संख्या में ऐसे जूनियर हाईस्कूल स्कूल हैं जिनमे आरटीई के मुताबिक छात्रों के सापेक्ष अध्यापक नहीं हैं। ऐसे में छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है। एक तरफ परिषदीय स्कूलों के छात्र किताबों के अभाव की समस्या को झेल रहे हैं वहीं पर्याप्त शिक्षक न होने के कारण केवल खानापूर्ति कर रहे हैं। अधिकारियों का ध्यान सिर्फ निपुण भारत के नाम पर कार्यशालाओं के आयोजन पर है लेकिन क्या बिना किताब बिना शिक्षक निपुण भारत के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है यह सवाल उन अभिवावकों के जहन में है जिनके बच्चे परिषदीय स्कूलों में पढ़ रहे हैं। शिक्षक संगठन यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने शिक्षकों के प्रति अधिकारियों के व्यवहार को सौतेला बताते हुए मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर शिक्षकों के प्रमोशन तथा स्वैच्छिक ट्रांसफर शीघ्र करने की मांग की है।
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