गोंडा। परिषदीय स्कूलों में सफाई की व्यवस्था पर अधिकारियों की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है। महानिदेशक स्कूली शिक्षा के चपरासी व चौकीदार नियुक्ति की योजना भी धरातल पर नहीं उत्तर सकी है। तीन फरवरी साल 2020 में नियुक्ति का प्रस्ताव शासन में भेजा था, लेकिन अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। शिक्षक सफाई करें या फिर गंदगी में पढ़ाई कराएं।
स्कूलों के शौचालयों, परिसर व कक्षा कक्षों की सफाई कौन करें, कभी इसकी जांच नहीं कराई गई। शिक्षकों की समस्या यह है कि इन मुद्दों पर सुनवाई नहीं है। कई शिक्षकों का कहना कि परिषदीय स्कूलों की सफाई व्यवस्था रामभरोसे है। ग्राम प्रधानों से संपर्क पर बताया कि सफाई कर्मी की तैनाती ही नहीं है। छोटे परिसर व कक्षों की सफाई किसी तरह रसोइयों से करा ली जाती है लेकिन बड़े परिसर से वह भी तौबा कर लेती हैं। कहां गुम हो गया आदेश: महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरण आनंद ने तीन फरवरी 2020 को प्रस्ताव दिया था और वह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था चपरासी व चौकीदार की नियुक्ति आउट सोर्सिग के माध्यम से या फिर ग्राम विकास विभाग के रोजगारसेवक चयन की तर्ज पर भी चयन का विकल्प दिया था। चयन के लिए तहसील स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की थी। तब किया था कि कमेटी का चयन तहसील के एसडीएम की ओर से नामित अधिकारी को अध्यक्षता में होगी। समिति में खंड शिक्षा अधिकारी सदस्य सचिव होंगे और संबंधित ब्लॉक के एडीओ पंचायत, एडीओ समाज कल्याण तथा सीडीपीओ सदस्य होंगे।
स्कूल प्रबंध समिति की ओर से स्कूल के एक चौकीदार पद के लिए पांच लोगों का प्रस्ताव दिया जाएगा, उसी में से एक का चयन समिति करेगी। उन्होंने चार हजार रुपये मासिक मानदेय भी तय कर दिया था लेकिन इस पर अमल न होना चौंकाने वाला है।