Home PRIMARY KA MASTER NEWS सरकारी नौकरियों का इंतजार भारी, एक बार जरूर पढ़ें

सरकारी नौकरियों का इंतजार भारी, एक बार जरूर पढ़ें

by Manju Maurya

पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश प्रारंभिक पात्रता परीक्षा (यूपीपीईटी) के लिए यात्रा करने वाले युवाओं की तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए थे। ऐसा अनुमान है कि लगभग 38 लाख उम्मीदवारों ने इस परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया था, जिनमें से कुछ सचमुच अपने परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने के लिए जान की बाजी लगाकर ट्रेन से सफर कर रहे थे। रेलवे स्टेशन खचाखच भरे थे और रेलों की बोगियां भी।

तीस वर्ष की आयु तक यदि किसी देश में अनगिनत युवा बेरोजगार रहते हैं, तो अर्थव्यवस्था को वैसी गतिशीलता या तेजी नहीं मिल पाती है, जैसी उसको मिलनी चाहिए।

आमतौर पर सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षाएं उम्मीदवारों को उनके घर, गांव या कस्बे, शहर में परीक्षा देने की मंजूरी नहीं देती हैं, जिसके चलते उन्हें अपने उन परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने के लिए यात्राएं करनी पड़ती हैं, जो अक्सर दूर होते हैं।

1990 के दशक में बिहार सरकार द्वारा संचालित इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए परीक्षा देने के दौरान मुझे इसी तरह के हालात का सामना करना पड़ा था। तब मैं रांची में रहता था, जो उस समय दक्षिण बिहार (और अब झारखंड) में था, मेरा परीक्षा केंद्र उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर में था। मुजफ्फरपुर जाने वाली बसें और ट्रेनें खचाखच भर गई थीं। शहर में होटल और लॉज थे, लेकिन कई छात्रों को रेलवे स्टेशन पर परीक्षा से पहले रात बितानी पड़ी थी। छात्रों की इस अचानक पहुंची भारी भीड़ को संभालने की क्षमता न तो मुजफ्फरपुर और न ही भारतीय रेलवे के पास थी।

आखिर सरकारी नौकरियों के प्रति इतना आकर्षण क्यों है? वास्तव में, निचले और मध्यम स्तर की सरकारी नौकरियां अधिकांश निजी नौकरियों की तुलना में बेहतर कमाई का जरिया होती हैं। नवंबर 2015 में अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करने वाले सातवें वेतन आयोग ने अहमदाबाद में भारतीय प्रबंधन संस्थान को इस मुद्दे का अध्ययन करने के लिए कहा था। संस्थान की रिपोर्ट में एक अध्ययन के हवाले से कहा गया था कि एक सामान्य सहायक, जो सरकार में सबसे कम रैंक वाला कर्मचारी होता है, का कुल वेतन-भत्ता 22,579 रुपये है, जो निजी क्षेत्र के उपक्रमों के एक सामान्य सहायक के वेतन-लाभ से दोगुना है। निजी क्षेत्र में इसी रैंक के कर्मचारी 8,000 से 9,500 रुपये तक पाते हैं।

यह परिदृश्य साफ तौर पर नहीं बदल रहा है। इसके अलावा, एक सरकारी नौकरी पक्की नौकरी की सुरक्षा के साथ आती है, यह कुछ ऐसा है, जो महामारी के बाद की दुनिया में और महत्वपूर्ण हो गया है। इससे पता चलता है कि क्यों हम नियमित रूप से निम्न स्तर की सरकारी नौकरियों के लिए भी इंजीनियरों, पीएचडी और एमबीए धारकों को आवेदन करते देखते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि सरकारी नौकरियों के प्रति आकर्षण अन्य विकासशील देशों में भी खूब दिखाई देता है। जैसा कि अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो गुड इकोनॉमिक्स फॉर हार्ड टाइम्स में इन देशों के संदर्भ में लिखते हैं सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी निजी क्षेत्र के औसत वेतन से दोगुने से अधिक कमाते हैं और इसमें उदार स्वास्थ्य सुविधा तथा पेंशन लाभों की गिनती नहीं हो रही है। यह लोगों की धारणा को उस ओर ले जाता है, जहां सरकारी क्षेत्र की नौकरियां निजी क्षेत्र की नौकरियों की तुलना में बहुत अधिक मूल्यवान लगने लगती हैं। लगभग हर किसी को इनका इंतजार रहता है।

अक्सर होता यह है कि एक युवा के कामकाजी जीवन का एक अच्छा-खास हिस्सा इंतजार में ही खर्च हो जाता है। ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ द्वारा प्रकाशित बेरोजगारी के आंकड़ों में यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। सितंबर 2022 में 20-24 वर्ष की आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 41.9 प्रतिशत थी। 25-29 वर्ष के आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 9.8 प्रतिशत थी। इसके अलावा, बेरोजगारी लगभग न के बराबर थी

अब यह हमें क्या बताता है? यह हमें बताता है कि जैसे ही किसी व्यक्ति की उम्र 30 वर्ष होती है, बेरोजगारी एक घटना के रूप में लगभग लुप्त हो जाती है। इस समय तक उम्र बढ़ जाती है और कई युवा ज्यादातर सरकारी नौकरियों के अयोग्य हो जाते हैं या परीक्षा लिखने के लिए जितने मौके मिलते हैं, वे समाप्त हो जाते हैं। यह स्थिति उन्हें निजी क्षेत्र में अनौपचारिक नौकरी करने या वैकल्पिक रूप से स्वरोजगार के लिए मजबूर करती है और इससे भारतीयों के लिए बेरोजगारी दर घट जाती है।

एक अर्थशास्त्री ने इसके लिए समाधान बताया है कि सरकारी नौकरियों में वेतन की कटौती की जाए और सरकारी वेतन को असंगठित निजी क्षेत्र के अनुरूप लाया जाए, लेकिन यह व्यावहारिक नहीं है। जैसा कि बनर्जी और डुफ्लो बताते हैं, ‘कई विकासशील देशों के श्रम बाजार में यह द्वंद्व विशेषता है, बिना किसी सुरक्षा के एक बड़ा असंगठित क्षेत्र है, जिसमें कई लोग बेहतर विकल्पों की कमी के चलते स्व-रोजगार करने लगते हैं, या संगठित क्षेत्र में नौकरी मिलने का इंतजार ही करते रहते हैं। संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों से न केवल लाड़- प्यार किया जाता है, बल्कि उन्हें दृढ़ता से संरक्षित भी किया जाता है।’ इसके कई दुष्परिणाम हैं। अव्वल तो कई युवा एक सरकारी नौकरी का पीछा किए बिना अपनी जिंदगी के सबसे अच्छे वर्ष बिताते हैं। दूसरा, निष्क्रिय युवा सामाजिक स्थिरता के लिए हानिकारक हैं। तीसरा, सरकारी नौकरी के प्रति अत्यधिक मोह की यह प्रवृत्ति अर्थव्यवस्था में समग्र निजी खपत को नुकसान पहुंचाती है। पीटर जीहान द एंड ऑफ द वर्ल्ड इज जस्ट द बिगिनिंग मैपिंग द कोलैप्स ऑफ ग्लोबलाइजेशन में लिखते हैं, ‘एक व्यक्ति अपना अधिकांश खर्च 15 और 45 की उम्र के बीच करता है, यही जीवन की खिड़की है, जब लोग कार खरीद रहे होते हैं (भारतीय संदर्भ में दोपहिया वाहन), घर खरीद रहे होते हैं, इस तरह की खपत वाली गतिविधि ही अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाती है।’ अत 30 वर्ष की आयु तक पहुंचने तक कई युवा जब बेरोजगार रहते हैं, तो अर्थव्यवस्था को वैसी गतिशीलता या तेजी नहीं मिल पाती है, जैसी उसे मिलनी चाहिए।

अंत में, यहां कम खपत का तात्पर्य भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की कम मांग से है। इसका मतलब है कि क्या व्यवसायों को अपनी क्षमता का विस्तार करने की जरूरत नहीं है? रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि भारत में विनिर्माण कंपनियां एक दशक से अपनी क्षमता का तीन-चौथाई से कम उपयोग कर रही हैं। ऐसे में, निजी क्षेत्र में कम नौकरियों का सृजन हो रहा है, इसीलिए बेरोजगारी है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Related Articles

PRIMARY KA MASTER NOTICE

✍नोट :- इस ब्लॉग की सभी खबरें Google search से लीं गयीं, कृपया खबर का प्रयोग करने से पहले वैधानिक पुष्टि अवश्य कर लें, इसमें BLOG ADMIN की कोई जिम्मेदारी नहीं है, पाठक ख़बरे के प्रयोग हेतु खुद जिम्मेदार होगा!

PRIMARY KA MASTER

PRIMARY KA MASTER | primary ka master current news | primarykamaster | PRIMARY KA MASTER NEWS | primarykamaster news | up primary ka master | primary ka master | up ka master | uptet primary ka master | primary ka master com | प्राइमरी का मास्टर | basic siksha news | upbasiceduparishad |up basic news | basic shiksha parishad | up basic shiksha parishad | basic shiksha | up basic shiksha news | basic shiksha parishad news | basic news | up basic shiksha | basic shiksha news today | बेसिक शिक्षा न्यूज | बेसिक शिक्षा समाचार |basicshikshakparivar| basic shikshak parivar | basic shiksha samachar | basic ka master | basic shiksha com | up basic education news | basic shiksha vibhag | up basic shiksha latest news | Basicshikshak | up basic shiksha parishad news | uptet news | uptet latest news | uptet help | uptet blog | up tet news| updatemarts | update mart | SUPER TET | uptet latest news | uptetnews | www updatemarts com| updatemartsnews | ctet | d.el.ed | updeled | tet news | gurijiportal | upkamaster | basicshikshakhabar | primarykateacher | Shikshamitra | up shiksha mitra | shikhsa mitra news | govtjobsup | rojgarupdate | sarkari results | teachersclubs | sarkari master | sarkariresults| shasanadesh | tsctup |basicmaster | Basicguruji | sarkari rojgar

© Basic Shiksha Khabar | PRIMARY KA MASTER | SHIKSHAMITRA | Basic Shiksha News | UpdateMarts | Primarykamaster | UPTET NEWS

icons8-whatsapp-96