लखनऊ। माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत तदर्थ शिक्षक बीते दो-तीन महीने से बिना वेतन काम कर रहे हैं। स्थिति यह है कि न उनके वेतन भुगतान की स्थिति सुनिश्चित है और न ही उनकी सेवाओं का भविष्य । इसे देखते हुए शिक्षक संघ ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के साथ ही मुख्यमंत्री से तदर्थ शिक्षकों को सेवाकाल का वेतन देने के साथ ही उनके भविष्य की स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
मांग को लेकर माध्यमिक शिक्षक संघ आंदोलनरत है। पिछले दिनों संघ के अध्यक्ष व विधान परिषद सदस्य सुरेश कुमार त्रिपाठी ने इस मुद्दे को विधान परिषद में भी उठाया था। संघ के प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्र कहते हैं कि जब तदर्थ शिक्षक विद्यालयों में अध्यापन कार्य कर रहे हैं तो उन्हें वेतन क्यों नहीं दिया जा रहा? उनके अनुसार वर्ष 2000 से पहले के करीब 800 तदर्थ शिक्षक हैं, जिनके वेतन भुगतान में अक्सर अड़ंगा लगता है। विरोध के बाद इन शिक्षकों का वेतन कई जिलों में तो जारी हो जाता है, लेकिन कुछ जिलों में फंस जाता है।
सबसे बुरा हाल वर्ष 2000 के बाद नियुक्त करीब 15 हजार तदर्थ शिक्षकों का है। इन्हें विनियमितीकरण की मांग पर सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। सेवाओं पर भी संकट है, लेकिन विभाग ने स्थिति स्पष्ट करने की बजाय उलझा दिया है। इन शिक्षकों से अध्यापन कार्य तो कराया जा रहा हैं, लेकिन कई जिलों में जून से इन्हें वेतन भुगतान नहीं हुआ। शिक्षक संघ ने त्योहारों को देखते हुए इन्हें वेतन भुगतान किए जाने की मांग की है। साथ ही नियमित करने के लिए माध्यमिक शिक्षा अधिनियम में संशोधन की मांग की है।
संगठनों ने उठाई विनयमितीकरण की मांग
शिक्षक नेता व लखनऊ के जिलाध्यक्ष आरके त्रिवेदी का कहना है कि वर्षों सेवाएं दे चुके तदर्थ शिक्षकों के हित में विभाग व शासन को फैसला लेना चाहिए। शिक्षक संघ के चेतनारायण गुट के डॉ. संजय द्विवेदी के अनुसार सभी तदर्थ शिक्षकों को भी विनियमित किया जाए। तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण के लिए 22 मार्च 2016 के बिंदु 8 की बाधा को समाप्त किया जाए। उनके मुताबिक वर्ष 2000 से पहले के तदर्थ शिक्षकों को अनावश्यक परेशान किया जा रहा है। उधर, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उच्च स्तर पर इन मांगों पर विचार चल रहा है।