लखनऊ:योगी सरकार ने भी हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू किए जाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। सीएम के निर्देश पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। कमेटी ने विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करते हुए हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने के लिए कुछ सिफारिशें विभाग को दी हैं। इसमें एमबीबीएस के प्रथम वर्ष में मध्य प्रदेश में प्रयोग की जाने वाली किताबों के उपयोग की बात कही गई है। जबकि द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ वर्ष की किताबें विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ शिक्षकों से तैयार कराने का सुझाव दिया गया है।पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में हाल ही में हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई की शुरूआत की गई है। हालांकि यूपी में भी कई महीने पहले ही इसकी कवायद शुरू कर दी गई थी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पूर्व महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा प्रोफेसर एनसी प्रजापति की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। इसमें मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता और प्रयागराज मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. एसपी सिंह शामिल थे। समिति ने मध्य प्रदेश द्वारा अपनाए गए तरीके का भी अध्ययन किया। हिंदी में उपलब्ध किताबों की स्थिति भी देखी। दूसरे, तीसरे और चौथे साल की जो किताबें विभिन्न चिकित्सा विशेषज्ञों से तैयार कराई जाएंगी उसमें हिंदी के साथ ही मेडिकल के प्रचलित अंग्रेजी शब्द भी होंगे ताकि हिंदी रूपांतर में उसका अर्थ प्रभावित न हो।महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण श्रुति सिंह ने कहा कि हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू कराने को लेकर विभाग द्वारा तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। समिति को इससे जुड़े सभी पहलुओं के अध्ययन के लिए कहा गया। किसी भी सूरत में मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।
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